Bharat

सीएए का विरोधः सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई का मामला राज्यों के हाई कोर्ट को भेजा

नई दिल्‍ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध करने वालों पर पुलिस कार्रवाई का मामला सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्यों के हाईकोर्ट को सौंप दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट अपने राज्य से जुड़े तथ्यों को बेहतर परख सकते हैं। हाईकोर्ट जांच के लिए उचित कमेटी बनाएं जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के पूर्व जज शामिल हों। न्यायालयने ने यह भी पूछा कि दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान बसों को कैसे जलाया गया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने कहा, “तेलंगाना मुठभेड़ मामले के लिए एक आयोग की नियुक्ती की गई लेकिन इस मामले में कोई समिति गठित नहीं की गई है जो देशभर में हुए इससे जुड़े मामलों पर नजर रख सके।”

छात्र-छात्राओं का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा, “यह कानून स्थापित है कि विश्वविद्यालय ऐसी जगह है जहां पुलिस कुलपति की अनुमति के बिना प्रवेश नहीं कर सकती। एक छात्र की आंखों की रोशनी चली गई है, कुछ छात्रों के पैर टूट गए। इस पर सॉलिसिटर जनरल टी. मेहता ने कहा कि एक भी छात्र ने दृष्टि नहीं खोई है।”

जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की घटनाओं पर इंदिरा जयसिंह ने छात्र-छात्राओं की तरफ से कहा, “यह एक क्रॉस स्टेट इश्यू है और इसके लिए एसआईटी का गठन होना चाहिए। अदालत कैसे इस मुद्दे से पीछे हट सकती है। कोर्ट ने तेलंगाना एनकाउंटर केस को लेकर जिस तरह के आदेश पारित किए, हम वैसे ही इस मामले में चाहते हैं।”

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल की गई याचिका में हिंसा की घटनाओं की सीबीआई या अदालत की निगरानी में एसआइटी से जांच कराए जाने की मांग की गई है। याचिका को मुख्‍य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया। पीठ ने कहा कि हम हिंसा के मामले पर गौर करेंगे। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि देश में जो कुछ हो रहा है वह उन सभी को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं मान सकती है। हम सभी अदालतों का क्षेत्राधिकार नहीं ले सकते हैं। हर जगह की घटना और परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती हैं। ऐसे मामले पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए। 

पश्चिम बंगाल में हिंसा पर जल्द सुनवाई करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम सभी अदालतों का क्षेत्राधिकार नहीं ले सकते। हर जगह की घटना और परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं। ऐसे मामलों में पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने सोमवार को इंदिरा जयसिंह की याचिका पर कहा था,  “हम शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम कानून व्‍यवस्‍था को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दे सकते। मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा था, “हम चाहते हैं कि हिंसा रुके। हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगे के हालात में यह नहीं हो सकता है। पहले हिंसा शां‍त होनी चाहिए तब बाद में हम पूरे मामले पर विचार करेंगे। हम अधिकारों और शातिंपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं। हम शांति को लेकर आश्‍वस्‍त होना चाहते हैं लेकिन यदि आप सड़क पर उतरना चाहते हैं तो हमारे पास न आएं।”

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर असम और बंगाल से शुरू हुई हिंसा की लपटों ने रविवार को राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ को भी अपनी चपेट में ले लिया था। दिल्ली के जामिया में हिंसा के दौरान छात्र-छात्राओँ, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मियों समेत करीब 40 लोग घायल हो गए थे। 

gajendra tripathi

Recent Posts

बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मना, सैकड़ों ने चखा प्रसाद

Bareillylive : बरेली के प्राचीनतम एवं भव्यतम बाबा त्रिवटी नाथ मंदिर में श्री अन्नकूट महोत्सव…

2 hours ago

सूने पड़े चित्रगुप्त चौक को हिंदू सेना अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ट्रस्ट ने किया रोशन

Bareillylive : हिंदू सेना अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने श्री चित्रगुप्त चौक…

2 hours ago

31,000 दीपों की रोशनी से जगमगाया रिजर्व पुलिस लाइन परेड ग्राउंड

Bareillylive : दीपावली त्योहार के पावन अवसर पर रिजर्व पुलिस लाइन बरेली में दीपोत्सव कार्यक्रम…

2 hours ago

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में करीब 3 साल बाद सुरक्षा बलों व आतंकियों में मुठभेड़

Bareillylive : श्रीनगर, 2 नवंबर, केएनटी : कश्मीर की राजधानी श्रीनगर आज करीब 3 साल…

3 hours ago

तुलसी वन गौशाला के उदघाटन कर बोले सांसद, गौ सेवा पुनीत कार्य, य़ह ममतामय घर

Bareillylive: मर्सी फॉर ऑल सोसाइटी संस्था के द्वारा ग्राम आसपुर खूबचंद, रिठौरा रोड, बरेली में…

4 days ago

रणधीर गौड़ रचित ‘लावनी गीत’ एवं शिवरक्षा रचित ‘शिवार्चना’ का हुआ विमोचन

Bareillylive : कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में रससिद्ध शायर पंडित देवी प्रसाद गौड़…

4 days ago