PahalgamTerroristAttack : इस देश में ‘कलमा’ ज़िंदगी बचा सकता है और ‘जय श्री राम’ जान लेवा बन सकता है—ये कैसी विडंबना है? आतंकी धर्म देखकर चुनते हैं कि किसे मारना है, फिर भी हमें समझाया जाता है कि ‘आतंक का कोई धर्म नहीं होता’!कब तक इस पाखंड के नीचे लाशें गिरती रहेंगी?
असम विश्वविद्यालय में बंगाली विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने कलमा पढ़ा और आतंकी ने छोड़ दिया।पहलगाम आतंकी हमलों में जिंदा बचे लोगों में से एक असम यूनिवर्सिटी के बंगाली डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य भी हैं, जो बैसारन में हमले वाली जगह अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे लेटे थे। उन्होंने कहा मैं बच गया, क्योंकि मैंने कलमा पढ़ दिया था।
प्रोफेसर देबाशीष ने बताया -जिस समय आतंकी हमला हुआ, मैं अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे लेटा हुआ था।तभी मैंने सुना कि मेरे आसपास के लोग कलमा पढ़ रहे थे।यह सुनकर मैंने भी पढ़ना शुरू कर दिया, कुछ देर में आतंकी मेरी ओर बढ़ा और मेरे बगल में लेटे व्यक्ति के सिर में गोली मार दी।”
इसके बाद आतंकी ने मेरी ओर देखा और पूछा कि क्या कर रहे हो? मैं और तेजी से कलमा पढ़ने लगा।इसके बाद वह किसी वजह से वहां से मुड़कर चला गया।”