इस्लामाबाद। विकास और आर्थिक उन्नति पर ध्यान देने के बजाय आतंकवाद को पोषित करते-करते कंगाल हो चुके पाकिस्तान को राहत पैकेज देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने ऐसी शर्तें रखी हैं जो उसके गले की फांस बन सकती हैं। आईएमएफ ने पहली शर्त की रूप में पाकिस्तान से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गालियारे (सीपीईसी) की जानकारी मांगी है। साथ ही इस बात की गारंटी भी मांगी है कि पाकिस्तान इस राहत पैकेज का इस्तेमाल चीन को कर्ज की किस्तें चुकाने में नहीं करेगा। जानकारों का मानना है कि इन कड़ी शर्तों के चलते पाकिस्तान को राहत पैकेज मिलने में विलंब हो सकता है।

दरअसल, आईएमएफ इन शर्तों के जरिये पाकिस्तान पर सीपीइसी परियोजना पर पारदर्शी होने के लिए दबाव डाल रहा है और उससे इसकी लिखित गारंटी चाहता है।

टल सकता है आईएमएफ के दल का आना

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन ने सोमवार को आधिकारिक स्रोतों के हवाले से कहा कि राहत पैकेज को अंतिम रूप देने के लिए आईएमएफ दल के आने की योजना टल सकती है। दोनों पक्ष अनुबंध की अंतिम शर्तों पर गहन चर्चा कर रहे हैं। पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद उमर ने इससे पहले इस महीने कहा था कि आईएमएफ का एक दल विश्वबैंक के साथ ग्रीष्मकालीन बैठक के तुरंत बाद यहां आने वाला है। उन्होंने कहा था कि अप्रैल के अंत राहत पैकेज पर हस्ताक्षर हो जाएंगे।

आइएमएफ से मांगी है आठ अरब डॉलर की सहायता

पाकिस्तान ने खुद को भुगतान संतुलन की गंभीर स्थिति से बचाने के लिए आइएमएफ से आठ अरब डॉलर की सहायता मांगी है। भुगतान असंतुलन की गंभीर स्थिति देश की अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल सकती है। चीन की सहायता से पाकिस्तान को अभी तक चालू वित्त वर्ष के दौरान मित्र देशों से आर्थिक सहायता पैकेज के तहत कुल 9.1 अरब डॉलर मिले हैं जो उसकी बेहद खराब माली हालत को देखते हुए बेहद कम हैं।

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