इस्लामाबाद। अपनी जमीन पर आतंकवादियों की मौजूदगी को लेकर बार-बार बयान बदलते रहने वाले पाकिस्तान ने अब एक नया दावा किया है। पाकिस्तान के गृह राज्यमंत्री शहरयार खान अफरीदी ने शुक्रवार को कहा कि आतंकी संगठनों को मिलने वाले धन और धन शोधन (
Money laundering) पर रोक लगाने के लिए उसने प्रभावी कदम उठाए हैं। इसके परिणाम सामने आने शुरू हो गए हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को इन कदमों की जानकारी दी जाएगी। इसलिए अब पाकिस्तान के उसकी काली सूची में जाने का कोई खतरा नहीं है।
गौरतलब है कि एफएटीएफ आतंकवादी और आपराधिक संगठनों की धन उगाही के खिलाफ कुछ न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करता है। एफएटीएफ इस मामले में पाकिस्तान को कई बार चेतावनी दे चुका है। इसके बावजूद पाकिस्तान द्वारा की कदम न उठाए जाने पर जून 2018 में उसको ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और काली सूची में डालने की चेतावनी दी थी।
पाकिस्तान पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों, खासतौर पर जैश-ए-मुहम्मद के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। एफएटीएफ की समीक्षा बैठक में अवैध फंडिंग के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों को देखा जाना है। हालांकि शहरयार खान अफरीदी ने आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के पीछे किसी बाहरी दबाव होने से इन्कार किया। उन्होंने कहा, “सरकार पाकिस्तान को पूरी तरह से बदलने के लिए संकल्पित है, इसलिए कोई उसके प्रयासों पर अंगुली नहीं उठा सकता।” अगले सप्ताह एफएटीएफ को दी जाने वाली रिपोर्ट का जिक्र करते हुए शहरयार खान ने दावा किया कि उसमें इमरान सरकार के कदमों की जानकारी मिलेगी।
क्या होती है एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) आतंकवादी और आपराधिक संगठनों की धन उगाही के खिलाफ कुछ न करने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई करता है। जो देश इस मामले में ढिलाई बरतते हैं, उन्हें पहले ग्रे लिस्ट में डाला जाता है। इसके बावजूद संबंधित देश कोई कार्रवाई नहीं करता है तो उसे काली सूची यानी ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। एफएटीएफ की काली सूची में डाले जाने पर संबंधित देश को अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता और निवेश हासिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।