बरेली : (Paramvir Yogendra Singh Yadav) कारगिल युद्ध में आसाधारण शौर्य का प्रदर्शन कर दुश्मनों के छक्के छुड़ा देने वाले सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेंद्र सिंह यादव शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो गये। पाकिस्तानी फौज और आतंकवादियों की अंधाधुंध फायरिंग के बीच अदम्य साहस और युद्ध कौशल के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। परमवीर चक्र युद्ध के दौरान असाधारण वीरता के लिए दिया जाना वाला देश का सबसे बड़ा शौर्य़ सम्मान है। कारगिल युद्ध में शौर्य प्रदर्शन के लिए राष्ट्र ने अपने चार जांबाजों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।
25 साल तक देश की सेवा करने वाले सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेंद्र सिंह यादव के सेवानिवृत्त होने के अवसर पर जूनियर लीडर्स अकादमी में पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया गया।
योगेंद्र सिंह यादव का जन्म 10 मई 1980 को बुलंदशहर के औरंगाबाद गांव में हुआ था। उनके पिता करण सिंह भी कुमाऊं रेजिमेंट में कार्यरत थे। महज 16 साल पांच माह की उम्र में वह 1996 में 18 ग्रेनेडिएर्स में भर्ती हुए। दुर्गम पहाड़ियों के बीच कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर कब्जा करने में उन्होंने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए अहम भूमिका निभाई थी।
सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) योगेंद्र सिंह यादव ने सैन्य सेवाकाल के दौरान कई संस्थानों में भारतीय सेना की वीरता और अदम्य साहस के बारे में युवाओं को व्याख्यान दिए और उन्हें देशप्रेम से सराबोर करने के साथ ही भारतीय सेनाओं में भर्ती होकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।