महापुरुष सरदार पटेल और अंबेडकर कुछ साल और जीवित रहते, तो भारत कुछ और होता : PM मोदी

नयी दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी ने सरदार सरोवर बांध का लोकापर्ण किया। पीएम ने सरदार सरोवर बांध के निर्माण के लिए सरदार पटले और अंबेडकर को श्रेय दिया। कहा, इन दोनों महापुरुषों ने जल समस्या को दूर करने के लिए काफी काम किया पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरदार पटेल की आत्मा जहां कहीं होगी वह इस सरदार सरोवर बांध को देखकर हमपर आशीर्वाद बरसा रही होगी।कहा कि ये किसी एक पार्टी का प्रोजेक्ट नहीं, किसानों का जीवन बदलेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि न जानें डाभोई से कितनी यादें जुड़ी हैं, लेकिन इससे पहले यहां ऐसा विशाल जनसागर पहले नहीं देखा।भारत में सदियों से लोग पसीना बहाते हैं, श्रम करते हैं, निर्माण का कार्य करते हैं, टेक्निशियन हो, मिस्त्री हो, चुना-मिट्टी का काम करते हैं, भारत में सबको भारत में विश्वकर्मा के रूप में देखा जाता है। इससे अच्छा संयोग नहीं हो सकता की जिन लोगों ने विश्वकर्मा के रूप में मेहनत कर इस सरदार सरोवर बांध को मूर्त रूप देकर मां भारती को यह तोहफा दिया है।जिन लोगों ने मुझे जन्मदिन की बधाई दी है उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूं।साथ ही लोगों को आश्वास्त करता हूं, जीऊंगा तो आपके सपने के लिए, मेहनत करुंगा तो आपके सपनों को पूरा करने के लिए।’ साबरमती और महापुरुषों के आशीर्वाद से आजादी के 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाएंगे।

सरदार पटेल की आत्मा जहां कहीं होगी वह इस सरदार सरोवर बांध को देखकर हमपर आशीर्वाद बरसा रही होगी। हममे से कई लोगों के जन्म से पहले सरदार पटेल ने सरदार सरोवर बांध का सपना देखा था। मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि अगर दो महापुरुष कुछ साल और जीवित रहते तो यह सरदार सरोवर 60-70 के दशक में बनकर तैयार हो जाता। एक सरदार पटेल ने इसकी परिकल्पना की थी और दूसरे बाबा साहब अंबेडकर ने भारत में जलक्रांति के लिए मंत्रिपरिषद के अपने अल्पकाल में ही कई योजना शुरू की थी। अगर ये दोनों महापुरुष कुछ साल ज्यादा जीवित होते तो हमें उनकी सेवा का लाभ कुछ साल और मिलता होता।बाबा साहेब अंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल कुछ साल और जीवित होते तो सूखा और बाढ़ की समस्या आज इतनी बड़ी नहीं होती। मैं इन दोनों महापुरुषों को याद करते हुए सरदार सरोवर बांध को देशवासियों को समर्पित करता हूं।
सरदार सरोवर बांध के निर्माण में दुनिया की कई ताकतों ने रुकावटें पैदा कीं।पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के नाम पर होने वाले विरोध के बाद विश्व बैंक ने पैसे देने से मना कर दिया था।हमने ठान लिया था कि हम भारतीयों के पसीने से इस बांध को बनाकर रहेंगे, जिसमें सफल हुए हैं।पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय जब एक बार चुनौती को स्वीकार लेते हैं तो उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेते हैं।

पश्चिम के राज्यों को छोड़कर देखें तो भारत के ज्यादातर हिस्सों में पानी की कमी के चलते विकास बाधित हुआ है।लोग पानी के तलाश में दूसरी जगहों पर चले जाते हैं।

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