नई दिल्ली, 17 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को शांति और सद्भाव के संदेश के लिए इस्लाम की तारीफ करते हुए कहा कि अल्लाह के 99 नामों में किसी का मतलब हिंसा से नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है और आतंक एवं धर्म को अलग किया जाना चाहिए।
प्रथम विश्व सूफी मंच को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि मानवता के लिए इस महत्वपूर्ण समय पर इस शानदार कार्यक्रम का आयोजन होना दुनिया के लिए अहम है। जब हिंसा की काली परछाईं बड़ी होती जा रही है तो उस समय आप उम्मीद का नूर या रोशनी हैं। जब जवान हंसी को बंदूकें खामोश कर रही हैं तो आपकी आवाज मरहम है।’
सूफीवाद के संदेश को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है। यह नहीं हो सकता। यह मानवता के मूल्यों और अमानवीयता की ताकतों के बीच संघर्ष है। इस संघर्ष को सिर्फ सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक तरीकों से नहीं लड़ा जा सकता।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह ऐसी लड़ाई है जिसे हमें मूल्यों की ताकत और धर्म के वास्तविक संदेश के माध्यम से जीतना होगा। जैसा कि मैंने पहले कहा कि आतंकवाद और धर्म के बीच किसी भी संबंध को हर हाल में नकारना होगा। जो लोग धर्म के नाम पर आतंक फैलाते हैं वो धर्म विरोधी हैं।’
सूफीवाद को पैगम्बर मोहम्मद और इस्लाम के बुनियादी मूल्यों से जुड़े होने पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, ‘यह हमें याद दिलाता है कि जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं तो उनमें से कोई भी बल और हिंसा का संदेश नहीं देता है। अल्लाह रहमान और रहीम भी है।’ इससे पहले ऑल इंडिया उलेमा एवं मशायक बोर्ड की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी का स्वागत ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ किया गया। मोदी ने इस सूफी सम्मेलन में यह संदेश ऐसे समय में दिया है जब सांप्रदायिकता के मुद्दे पर उनकी सरकार विपक्ष के निशाने पर है और राष्ट्रवाद को लेकर बहस चल रही है।