इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने अगर सरदार न होते तो सोमनाथ मंदिर, गिर के शेरों और हैदराबाद की चारमीनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता। पीएम ने कांग्रेस का नाम लिये बगैर लिए कहा कि कुछ लोग इस मुहिम को राजनीति के चश्मे से देखते हैं। महापुरुषों को याद करने के लिए भी हमारी आलोचना की जाती है। इससे पहले पीएम मोदी ने मंत्रोच्चार के बीच स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर 30 नदियों का जल भी अर्पित किया और पूजा-अर्चना भी की। इस दौरान उनके साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और सीएम विजय रूपाणी भी मौजूद रहे।
प्रतिमा के अनावरण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज वो पल है जो किसी भी राष्ट्र के इतिहास में दर्ज हो जाता है और उसे मिटा पाना बहुत मुश्किल होता है। आज का ये दिवस भी भारत के इतिहास के ऐसे ही कुछ क्षणों में से महत्वपूर्ण पल है। भारत की पहचान, भारत के सम्मान के लिए समर्पित एक विराट व्यक्तित्व का उचित स्थान का एक अधूरापन लेकर आजादी के इतने वर्षों तक हम चल रहे थे। आज धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ’आज गुजरात के लोगों ने मुझे जो अभिनंदन पत्र दिया है, उसके लिए मैं यहां की जनता का बहुत आभारी हूं। सोचा नहीं था कि सरदार साहब की प्रतिमा के अनावरण का मौका मुझे मिलेगा। मुझे प्रतिमा निर्माण के लिए लोहा अभियान के दौरान मिले लोहे का पहला टुकड़ा भी मिला है। मैं गुजरात के लोगों के प्रति कृतज्ञ हूं। मैं इन चीजों को यहीं पर छोडूंगा ताकि इन्हें यहां के म्यूजियम में रखा जाए और लोग इन्हें याद रखें। आज जी भरके बहुत कुछ कहने का मन भी करता है। मुझे वो दिन याद आ रहे हैं जब देशभर के गांवों से किसानों से मिट्टी मांगी गई थी और खेती में इस्तेमाल किए गए पुराने औजार दानस्वरूप देने को कहा गया था, तो किसानों ने इसे एक जनआंदोलन रूप में लिया। सैंकड़ों मिट्रिक टन लोहा इस प्रतिमा के लिए मिला था’।
पीएम ने कहा कि ’दुनिया की ये सबसे ऊंची प्रतिमा हमारी भावी पीढ़ी को साहस और संकल्प की याद दिलाएगी। जिसने मां भारती को टुकड़ों में बांटने की साजिश को नाकाम करने का पवित्र कार्य किया, ऐसे सरदार पटेल को शत-शत नमन करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि उसी ताकत के बूते आज भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से संवाद कर रहा है। आज भारत दुनिया में एक बड़ी अर्थव्यवस्था और सामरिक शक्ति बन रहा है। इसके पीछे सरदार साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अगर हम आज बेरोकटोक जा रहे हैं तो ये सरदार साहब के संकल्प की वजह से ही संभव हो पाया है। अगर सरदार साहब का संकल्प ना होता तो सिविल सेवा जैसे प्रशासनिक ढांचे को खड़ा करने में हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता। प्रधानमंत्री ने कहा कि ’वो सरदार साहब ही थे, जिनके चलते आज मौलिक अधिकार हमारे लोकतंत्र का प्रभावी हिस्सा है। सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा और पुरुषार्थ ये जीता जागता उदाहरण है। ये राष्ट्र शाश्वत है और शाश्वत रहेगा’।
पीएम सुबह करीब पौने नौ बजे ही कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए थे। प्रतिमा के अनावरण से पहले पीएम ने यहां वैली ऑफ फ्लावर्स और टेंट सिटी का उद्घाटन किया। इस दौरान गुजरात के राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली, मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
प्रतिमा अनावरण से पहले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि ’गुजरात के सपूत की यहां की धरती पर इतनी ऊंची प्रतिमा बनी है, यह हमारे लिए हर्ष और आनंद की बात है। हम प्रतिमा बनवाने के लिए गुजरात की जनता की तरफ से पीएम अनिनंदन पत्र देना चाहते है। सरदार की इतनी ऊंची प्रतिमा को बनवाना हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ही सपना था। इतिहास वही रचते हैं, जो इतिहास से प्रेरणा लेते हैं’।
iइसके बाद अनावरण स्थल पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। इस मौके पर 29 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों के कलाकारों ने नृत्य और संगीत की प्रस्तुति भी दी। अनावरण के वक्त गुजरात पुलिस, सशस्त्र और अर्द्धसैनिक बलों के बैंड सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा यह प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ से दोगुनी ऊंची है। यह नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के पास साधु बेट टापू पर बनाई गई है। प्रतिमा के अंदर 135 मीटर की ऊंचाई पर एक दर्शक दीर्घा बनाई गई है, जिससे पर्यटक बांध और पास की पर्वत श्रृंखला का दीदार कर सकेंगे।
182 मीटर ऊंची यह विशाल प्रतिमा देश के पहले गृह मंत्री को श्रद्धांजलि होगी। जिन्होंने 1947 के विभाजन के बाद राजाओं-नवाबों के कब्जे वाली रियासतों को भारत संघ में मिलाने में अहम योगदान दिया था। यह प्रतिमा मौजूदा समय में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल ऑफ बुद्ध से भी 29 मीटर ऊंची है। चीन की प्रतिमा की ऊंचाई 153 मीटर है। सरदार पटेल की प्रतिमा न्यूयॉर्क स्थित 93 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुना बड़ी है। बताया जा रहा है कि इसकी गैलरी में एक समय में करीब 200 पर्यटकों को समायोजित किया जा सकता है। यहां से सरदार सरोवर बांध और सतपुड़ा व विंध्य की पर्वत श्रृंखला तथा अन्य जगहों का दीदार किया जा सकेगा।
विंध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची इस मूर्ति को बनाने में करीब 2389 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से राज्य के पर्यटन विभाग को बहुत फायदा होगा। इसके बनने से प्रतिदिन करीब 15000 पर्यटक के यहां आने की संभावना है और इससे गुजरात देश का सबसे व्यस्त पर्यटक स्थल बन सकता है.। इसमें दो हाई स्पीड लिफ्ट भी होंगी जिससे एक समय में करीब 40 लोग गैलरी तक जा सकते हैं। यहां एक संग्रहालय में सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा।
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