नई दिल्ली। केंद्र की भाजपा सरकार क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने जा रही है? राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया के लोगों में पिछले कई सप्ताह से इसको लेकर चल रही खुसर-पुसर के निकट भविष्य़ में सच होने के संकेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को दिए। मौका था 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले के प्रचीर से उनके संबोधन का।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है। यह जनसंख्या विस्फोट हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए कई संकट पैदा कर रहा है। देश का जागरूक वर्ग तो इस बात को भली भांति समझता है। वह अपने घर में शिशु को जन्म देने से पहले भली भांति सोचता है कि “मैं उसके साथ न्याय कर पाऊंगा।” आपने परिवार को छोटा रखकर वह देशभक्ति को अभिव्यक्त करता है। यह वर्ग सम्मान का अधिकारी है।
प्रधानमंत्री द्वारा देश के नाम संबोधन के दौरान तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताने और छोटा परिवार रखने को देशभक्ति से जोड़ने के बाद ये अटकलें तेज हो गई हैं कि संसद के अगले सत्र में जनसंख्या नियंत्रक विधेयक पेश किया जा सकता है। इन अटकलों को इस बात से भी बल मिलता है कि नरेंद्र मोदी पहले भी कई बार जनसंख्या वृद्धि पर चिंता जता चुके हैं। बहुत से हिंदूवादी संगठन भी एक वर्ग विशेष की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर चिंता जताने के साथ ही जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की मांग करते रहे हैं। हालांकि सामाजिक जीवन से जुड़े लोग, समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री इसे दूसरे नजरिये से देखते हैं। इनका कहना है कि परिवार चाहे किसी भी वर्ग या समाज का हो, अधिक बच्चे होने पर उपलब्ध संसाधन और मांग के बीच खाई बढ़ जाती। उदाहरण के लिए हर महीने 10 हजार रुपये कमाने वाला दो बच्चों का पिता अपने पारिवार का भरण-पोषण इतना ही कमाने वाले उस व्यक्ति से बेहतर तरीके से कर सकता है जिसके चार या पांच बच्चे हैं।