नई दिल्ली। भारत सरकार ने चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद को और बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत दे दी है। सरकार ने 20 नवंबर के अपने गजट नोटिफिकेशन के जरिए आयुर्वेद के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को यह बड़ी सौगात दी है। हालांकि आयुर्वेदित सर्जनों को सिर्फ 58 तरह की सर्जरी करने की ही इजाजत दी गई है। यानी देश के आयुर्वेदिक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर भी एलोपैथिक डॉक्टरों की तरह ऑपरेशन कर सकेंगे।
इन 58 तरह की सर्जरी में हड्डी रोग, आंखों की सर्जरी, कान-गला और दांत की सर्जरी, स्किन ग्राफ्टिंग, ट्यूमर की सर्जरी, हाइड्रोसील, अल्सर, पेट की सर्जरी शामिल हैं।
इस नोटिफिकेशन पर आयुष डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था नेशनल इंटेग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (NIMA, नीमा) ने खुशी जताई है। नीमा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ उमाशंकर पांडेय ने इसे देश के आयुर्वेदिक डॉक्टरों की जीत बताया है। इस आदेश का विरोध करने वाले संगठनों को जवाब देते हुए डॉ पांडेय ने कहा कि आयुर्वेद में सर्जरी 2500 साल से पहले से मौजूद है जबकि एलोपैथी में सर्जरी को आये अभी सिर्फ दो-तीन सौ साल ही हुए हैं। तकनीक पर किसी भी इलाज के सिस्टम या संगठन का एकाधिकार नहीं हो सकता।
एलोपैथिक डॉक्टरों की संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए, IMA) ने एक बयान जारी करके सरकरा के इस फैसले पर अपना विरोध दर्ज कराया है। आईएमए के बयान के मुताबिक चिकित्सा पद्धतियों के बीच में एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। आईएमए ने अपील की है कि CCIM खुद के प्राचीन लेखों से सर्जरी की अलग शिक्षण प्रक्रियाएं तैयार करे और सर्जरी के लिए मॉडर्न मेडिसिन के तहत आने वाले विषयों पर दावा न करें। साथ ही आईएमए ने आरोप लगाए कि CCIM की नीतियों में अपने विद्यार्थियों के लिए मॉडर्न मेडिसिन से जुड़ी किताबें मुहैया कराकर इलाज के दोनों तरीकों को मिलाने की कोशिश हो रही है। आईएमए ने यह भी कहा कि सर्जरी आधुनिक मेडिकल साइंस का हिस्सा है और इसे आयुर्वेद के साथ मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता।
आयुर्वेदिक पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी करने की इजाजत देने के आदेश का आईएमए द्वारा विरोध किए जाने पर आयुष मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है। मंत्रालय ने कहा है कि यह कोई नया आदेश नहीं है। इसकी घोषणा साल 2016 में ही कर दी गई थी। आयुर्वेदक डॉक्टर सिर्फ 58 तरह की सर्जरी ही कर सकते हैं, उसके अलावा और कोई सर्जरी नहीं।
आयुर्वेद के महान चिकित्सर महर्षि सुश्रुत को सर्जरी का जनक माना जाता है। जब पश्चिमी देश सभ्यता के संकट से झूझ रहे थे तब ही 2500 साल पहले सुश्रुत ने सुश्रुत संहिता (Sushruta Samhita) में सर्जरी के 100 से ज्यादा तरीके लिख दिए थे। यहां तक कि देश के एलोपैथिक चिकित्सक भी महर्षि सुश्रुत को ही सर्जरी का जनक मानते हैं। मॉडर्न सर्जरी की किताबों तक में महर्षि सुश्रुत को “फादर ऑफ सर्जरी” लिखा जाता है।
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