नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तमाम विवादों से घिरे कट्टरपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को प्रतिबंधित संगठन की सूची में डालने की तैयारी में है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन पीएफआइ से जुड़ा है और पीएफआई के पदाधिकारियों का प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से जुड़े होने का पता लगा है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एएस बोपन्ना की पीठ ने मेहता से सवाल किया कि क्या पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया है? इसके जवाब में मेहता ने कहा, “कई राज्यों में पीएफआई प्रतिबंधित है। मेरी सूचना के अनुसार केंद्र भी इसे प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया में है।” इस पर पीठ ने कहा, यह अभी तक प्रतिबंधित नहीं है। इस पर पिछले साल दिसंबर में दाखिल एक हलफनामा पढ़ते हुए मेहता ने कहा, “नहीं।”
गौरतलब है कि पीएफआई के कई पदाधिकारी सिमी से जुड़े पाए गए थे। शाहीन बाग आंदोलन, उत्तर प्रदेश में लखनऊ सहित कई शहरों में हुई हिंसा और फरवरी 2021 के दिल्ली दंगों में भी पीएफआई की संलिप्तता की बात सामने आई थी। पीएफआई से कथित तौर पर संबंध रखने के आरोप में उत्तर प्रदेश में 4 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के प्रवधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें सिद्दीक कप्पन के अलावा अतिक-उर रहमान, मसूद अहमद और आलम शामिल हैं।