राष्ट्रपति चुनाव में अभी तक PM मोदी के दांव से चित दिख रहे विपक्ष ने राजनीति में हलचल के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने दलित प्रत्याशी के सामने एक और दलित प्रत्याशी के रूप में लोकसभा अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार को उतारा है। हालांकि एनडीए के पास अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पर्याप संख्या बल और आधार है, लेकिन अब चुनाव एकतरफा नहीं रहा। राष्ट्रपति का चुनाव दिलचस्प हो गया है।
राजनीतिक तौर पर विपक्ष को प्रधानमंत्री मोदी की चालों का जवाब नहीं सूझ रहा है। ऐसे में कांग्रेस हाशिये जाती जा रही थी। राजग के दलित चेहरे को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद से मायावती के दांव भी उल्टे पड़ गये थे। पिछली कुछ घटनाओं के बाद दलित-दलित चिल्लाने के बाद अब बसपा सुप्रीमो को कुछ सुझाई नहीं दे रहा था। ऐसे में कांग्रेस अपने साथ बसपा को सांस लेने लायक आक्सीजन देने का काम किया है।
जातिवाद के दंश को झेल रहे देश की राजनीति इस कदर ओछी होती जा रही है कि देश के प्रथम नागरिक का चुनाव भी जाति और वर्ण के इर्द-गिर्द घूम रहा है। हालांकि दोनों ही उम्मीदवारों की योग्यता या उनकी शख्सियत पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं है लेकिन इस दलितवाद के चक्कर में उनके कार्यकाल, योग्यता या फिर दावेदारी क्यों है, पर कोई बात कहीं नहीं हो रही है। ये देश के प्रबुद्ध नागरिकों के सामने विचारणीय और चिन्तनीय है विषय है ।
इसके अलावा भी बड़ा सवाल ये कि क्या लोकसभा अध्यक्ष और राज्यपाल रहे व्यक्ति को दलित यानि दबा-कुचला या शोषित माना जाना चाहिए? यदि उन्हें दलित, शोषित और मजलूम के चश्मे से देखें तो क्या विश्वगुरु बनने का सपना देख रहे भारत जैसे देश का राष्ट्रपति दया का पात्र नज़र नहीं आयेगा? चिन्तनीय है कि कितना असहाय और दया का पात्र बना दिया गया है देश का प्रथम नागरिक का चुनाव? आईये जानते हैं कि कौन और क्या हैं राष्ट्रपति पद के ये उम्मीदवार-
रामनाथ कोविन्द उत्तर प्रदेश के कानपुर के निवासी हैं। भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में ये एक बड़ा दलित चेहरा हैं। कोविन्द को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा के रणनीतिकारों ने यूपी समेत अनेक राज्यों के दलितों को साधने की कोशिश तो वहीं दलित-दलित की माला जप रहे विपक्ष को राजनीतिक पटखनी देदी।
मधुर स्वभाव के कोविन्द यूपी में अनुसूचत जाति में सूचित कोली जाति से हैं। कोविंद ने स्नातक के बाद वकालत की उपाधि प्राप्त की और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत की शुरू की। 1977 से लेकर 1979 तक तक वह दिल्ली हाईकोर्ट में सरकारी वकील रहे। इससे पूर्व उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी। हालांकि इसके लिए उन्हें तीन बार प्रयास करने पड़े।
कोविन्द 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 1994 और 2000 में कोविन्द को भाजपा ने अपने कोटे से दो बार राज्यसभा भी भेजा। इस बीच वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाये गये और इसके बाद अगस्त 2015 में वह बिहार के रा्ज्यपाल बनाये गये।
पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी हैं मीरा कुमार। इसके बावजूद इनकी गिनती दलितों में हो रही है। इतना ही नहीं 1973 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुई मीरा कुमार अपनी योग्यता के बल पर ही कई देशों में तैनात रहीं। ये उत्कृष्ट प्रशासक होने के साथ ही मृदुभाषी और सौम्य हैं।
मीरा कुमार को संप्रग यानि कांग्रेस नीत एनपीए सरकार में 3 जून 2009 को प्रथम लोकसभा अध्यक्ष चुना गया। यह निर्वाचन भी निर्विरोध था। इससे पूर्व वह 1975 में यूपी के बिजनौर से सांसद चुनी गयीं। फिर कांग्रेस पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर रहीं। 1996, 1998 और 2004 में फिर चुनकर लोकसभा पहुंचीं। मनमोहन सरकार के प्रथम कार्यकाल में सामाजिक न्याय मंत्री रहीं।
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