प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- परीक्षा के बाहर भी होती है बहुत बड़ी दुनिया

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को एक बार फिर बच्चों और युवाओं के साथ सीधा संवाद किया। उनको एग्जाम फोबिया से बचने के लिए टिप्स दिए।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर बच्चों और युवाओं के साथ सीधा संवाद किया। उनको एग्जाम फोबिया से बचने के लिए टिप्स दिए। इस चर्चा में नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं, 25 साल से कम उम्र के स्नातक-स्नातकोत्तर विद्यार्थियों, अभिभावकों और अध्यापकों ने हिस्सा लिया। यहां तालकाटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम देशभर के कई राजकीय विद्यालयों में भी दिखाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बच्चों और युवाओं के साथ हुई इस चर्चा का लब्बो-लुआब था कि किसी परीक्षा में मनचाही सफलता नहीं मिलने पर निराश न हों, परीक्षा के बाहर भी बहुत बड़ी दुनिया होती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिए ये टिप्स

  1. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की जो मूलभूत समाज रचना है, उसमें इस तनाव को दूर करने की सहज व्यवस्था है दुर्भाग्य से समाजिक व्यवस्था में जो परिवर्तन आए, जैसे पहले संयुक्त परिवार होता था तो बच्चा जो बातें पापा को नहीं कह सकता था, वो दादी को कह देता था, जो दादी को नहीं कह सकता था वो मां से कह सकता था। इस तरह बच्चे को खुद को अभिव्यक्त करने का मौका मिलता था। आज ये व्यवस्था टूट रही है जिससे तनाव बढ़ रहा है मां-बाप को बच्चे की रुचि के अनुसार खुलेपन से बातें करनी चाहिए।
  2. मोदी ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था एक दिन में तैयार नहीं हुई है। हजारों सालों की मेहनत और यात्रा के बाद यहां तक पहुंची है। लेकिन हमने शिक्षा को जिंदगी से काटकर परीक्षा से जोड़ दिया है। उन्होंने इसके लिए उदाहरण भी दिया। कहा-  जैसे कि अनुशासन हमारे सिलेबस में नहीं होता, लेकिन उसका पालन किया जाता है। शिक्षा के हर पहलू को जिंदगी से जोड़ने की आदत होनी चाहिए।
  3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनेपरीक्षा के दबाव को खुद पर हावी न होने पर भी सलाह दी। कहा कि भगवान ने हर इंसान को खास ताकत दी है। आपके अंदर बहुत ऊर्जा दबी पड़ी है लेकिन आपको इसका अनुभव नहीं हो पाता। इसीलिए परीक्षा आपको अपने सामर्थ्य को परखने का अवसर देती है। हमें परीक्षा के लिए खुद के लिए जिंदगी जीनी चाहिए।
  4. मोदी ने कहा, मेरे लिए सवा सौ देशवासी मेरा परिवार है। जब सवा सौ करोड़ देशवासी मेरा परिवार है, तो मैं थकान महसूस नहीं करता हूं। हर पल मैं सोचता हूं, रात को जब सोने जाता हूं तो सुबह का सोच कर जाता हूं और नई उमंग, नई ऊर्जा के साथ आता हूं। कसौटी बुरी नहीं होती, हम उसके साथ किस प्रकार के साथ डील करते हैं उस पर निर्भर करता है। मेरा तो सिद्धांत है कि कसौटी कसती है, कसौटी कोसने के लिए नहीं होती है।
  5. बच्चों के ऑनलाइन गेम की तरफ बढ़ते आर्कषण और पढ़ाई पर कम समय देने के बारे में भी मोदी ने चर्चा की। उन्होंने कहा कि बच्चों का तकनीकी रूप से सक्षम होना बहुत जरूरी है लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि तकनीक हमारे बच्चों को रोबोट तो नहीं बना रही है। इसके लिए अभिभावकों को बच्चों से समकालीन तकनीकी ट्रेंड्स पर चर्चा करते रहना चाहिए।
  6. बच्चों पर अच्छा परफॉर्म करने को लेकर दबाव पर  मोदी ने कहा कि अभिभावकों को कहूंगा कि आपके सपने भी होने चाहिएं और आशाएं भी होनी चाहिए लेकिन दवाब से स्थिति बिगड़ जाती है। जब भी आप बच्चे पर दबाव बना देते हैं तो प्रतिक्रिया होती है। ऐसा न हो, इसका ध्यान रखना है। कभी-कभी अभिभावक अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड बना लेते हैं। यह समस्या की सबसे बड़ी जड़ है।
  7. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोग कहते हैं मोदी ने बहुत उम्मीदें जगा दी हैं। मैं तो चाहता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के सवा सौ करोड़ उम्मीदें होनी चाहिएं। हमें उन अपेक्षाओं को उजागर करना चाहिए देश तभी चलता है। अपेक्षाओं के बोझ में दबना नहीं चाहिए। हमें अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने आपको सिद्ध करना चाहिए।

8. मोदी ने कहा, जिंदगी में कसौटी होना बहूत जरूरी है। कसौटी हमें कसती है। हमारे भीतर की सर्वोत्तम विधा को प्रकट होने का अवसर मिलता है। अगर हम अपने आप को कसौटी के तराजू पर झोंकेंगे नहीं तो जिंदगी में ठहराव आ जाएगा और ठहराव जिंदगी नहीं हो सकती। जिंदगी का मतलब ही होता है गति। जिंदगी का मतलब ही होता है सपने। जिंदगी का मतलब ही होता है जी-जान से अचीव करने के लिए लगे रहना।

9. परीक्षा में असफलता का सामना करने वालों के लिए संदेश देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- एक कविता की पंक्तियां मुझे याद हैं कि कुछ खिलौनों के टूटने से बचपन नहीं मरा करता है। इन पंक्तियों में एक बहुत बड़ा संदेश है। एक-आध परीक्षा में कुछ इधर-उधर हो जाए तो जिंदगी ठहर नहीं जाती है।

10.  हमें खुद यह पूछना चाहिए कि क्या ये परीक्षा जिंदगी की है या किसी कक्षा की? अगर इतना ही हम सोच लें तो हमारा जो बोझ है वह कम हो जाएगा और एक काम के लिए फोकस भी बढ़ जाएगा।

gajendra tripathi

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