नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया। किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि आज विपक्ष कृषि सुधारों पर यू टर्न क्यों ले रहा है? प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि कुछ लोग नए कृषि कानूनों पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “कृषि कानूनों को लेकर किसानों की हर शंका का समाधान किया जाएगा। किसानों की बड़ी मांग पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, ‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कोई खत्म नहीं कर सकता।  एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा।” 

प्रधानमंत्री मोदी का अंदाज आज कुछ अलग था। उन्होंने कुछ नए शब्दों का जिक्र किया। जैसे- आंदोलनजीवी, फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी और जी-23। यह भी बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आज होते तो कविता किस तरह लिखते। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने 4 पूर्व प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने अपनी ओलाचना पर भी विपक्ष की चुटकी ली। कहा, “मुझे आनंद हुआ कि मैं कम से कम आपके काम तो आया।” 

प्रधानमंत्री ने कहा, “हम लोग कुछ शब्दों से परिचित हैं- श्रमजीवी, बुद्धिजीवी। मैं देख रहा हूं कि पिछले कुछ समय से इस देश में नई जमात पैदा हुई है। एक नई बिरादरी सामने आई है- आंदोलनजीवी। आप देखेंगे कि आंदोलन चाहे वकीलों का हो, छात्रों का हो, मजदूरों का हो, हर आंदोलन में ये जमात नजर आएगी। आंदोलनजीवियों की पूरी टोली है। ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते। आंदोलन से जीने के लिए रास्ते खोजते रहते हैं। हमें इन्हें पहचानना होगा।”

मोदी ने कहा, “ऐसे आंदोलनजीवी सब जगह पहुंचकर आइडियोलॉजिकल स्टैंड ले लेते हैं। नए-नए तरीके बताते हैं। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे, ये हम सभी को देखना होगा। ये अपना आंदोलन खड़ा नहीं कर पाते। किसी का आंदोलन चल रहा तो वहां जाकर बैठ जाते हैं। ये सारे आंदोलनजीवी परजीवी होते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “देश प्रगति कर रहा है और हम फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट की बात कर रहे हैं। लेकिन बाहर से एक नया एफडीआई नजर आ रहा है। ये नया फडीआई है- फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी। इस फडीआई से देश को बचाने के लिए हमें और जागरुक रहने की जरूरत है।”

प्रधानमंत्री का इशारा क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग से लेकर पॉप सिंगर रिहाना तक ऐसी विदेशी हस्तियों पर था जिन्होंने हाल ही में अपनी सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए किसान आंदोलन का समर्थन किया है।

सिखों को गुमराह करने की कोशिश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कुछ लोग हमारे पंजाब के सिख भाइयों के दिमाग में कुछ गलत चीजें भरने में लगे हैं। ये देश हर सिख के लिए गर्व करता है। देश के लिए क्या कुछ नहीं किया इन्होंने। इनका जितना आदर करें, कम है। गुरुओं की महान परंपरा रही है। मुझे पंजाब की रोटी खाने का मौका मिला है, इसलिए मालूम है। मैंने कई साल पंजाब में बिताए हैं। कुछ लोग सिखों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं। इससे देश का भला नहीं होगा।”

कांग्रेस गुलाम नबी की बात को जी-23 की राय न मान ले

प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के बहाने कांग्रेस की चुटकी ली। उन्होंने कहा, “मैं गुलाम नबी आजाद की तारीफ करता हूं। वे मृदुता, सौम्यता से बोलते हैं। कभी भी कटु शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते। सभी सांसदों को उनसे सीखना चाहिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों की तारीफ की। इसके लिए मैं आपका आभारी हूं। लेकिन मुझे डर भी लगता है। मुझे भरोसा है कि आपकी पार्टी वाले इसे उचित स्पिरिट में लेंगे। गलती से जी-23 की राय मानकर उल्टा न कर दें।”

यहां जी-23 से मोदी का इशारा कांग्रेस के उन 23 नेताओं की तरफ था, जिन्होंने अगस्त 2020 में सोनिया गांधी को चिट्‌ठी लिखकर कहा था कि पार्टी को फुलटाइम लीडरशिप की जरूरत है। बाद में इन नेताओं की बात को पार्टी लाइन के खिलाफ मानकर उन्हें किनारा करने की कोशिशें हुई थीं।

मैथिलीशरण आज होते तो क्या लिखते?

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रकवि मैथिलीचण गुप्त का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हम सभी के लिए ये एक अवसर है कि हम आजादी के 75वें साल में प्रवेश कर रहे हैं। यह पर्व कुछ कर गुजरने का होना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि आजादी के 100वें साल यानी 2047 में हम कहां होंगे। आज दुनिया की निगाह हम पर है।

मोदी ने कहा, “जब मैं अवसरों की चर्चा कर रहा हूं, तब मैथिलीशरण गुप्त की कविता कहना चाहूंगा- अवसर तेरे लिए खड़ा है, फिर भी तू चुपचाप पड़ा है। तेरा कर्मक्षेत्र बड़ा है, पल-पल है अनमोल, अरे भारत उठ, आंखें खोल। मैं सोच रहा था, 21वीं सदी में वो क्या लिखते- अवसर तेरे लिए खड़ा है, तू आत्मविश्वास से भरा पड़ा है, हर बाधा, हर बंदिश को तोड़, अरे भारत, आत्मनिर्भरता के पथ पर दौड़।”

मुझ पर भी हमला हुआ, आनंद लेते रहिए,


अपना भाषण खत्म करते हुए प्रधानमंत्री मोदीबोले, “सदन में चर्चा का स्तर अच्छा था। वातावरण भी अच्छा था। मुझ पर भी कितना हमला हुआ। जो भी कहा जा सकता है, कहा गया। मुझे आनंद हुआ कि मैं कम से कम आपके काम तो आया। कोरोना के कारण ज्यादा आना-जाना नहीं होता होगा। कोरोना के कारण फंसे रहते होंगे। घर में भी किच-किच चलती रहती होगी। इतना गुस्सा यहां निकाल दिया तो आपका मन कितना हल्का हो गया होगा। अब घर के अंदर कितने खुशी-चैन से समय बिताते होंगे।”

मोदी ने कहा, “किसान आंदोलन पर खूब चर्चा हुई। मूल बात पर चर्चा होती, तो अच्छा होता। कृषि मंत्री ने अच्छे ढंग से सवाल पूछे, पर उनके जवाब नहीं मिलेंगे। देवेगौड़ा जी ने सरकार के प्रयासों की सराहना की, क्योंकि वे कृषि से लंबे समय से जुड़े रहे हैं।”


मोदी बोले, “आखिर खेती की समस्या क्या है? मैं चौधरी चरण सिंह के हवाले से कहना चाहता हूं। उन्होंने 1971 में कहा था, ‘33% किसानों का पास 2 बीघा से कम जमीन है। 18% के पास 2 से 4 बीघा जमीन है। 51% किसानों का गुजर-बसर जमीन से नहीं हो सकता।’ आज देश में ऐसे किसानों की संख्या बढ़ रही है, जिनके पास 2 हेक्टेयर के कम जमीन है। ऐसे 12 करोड़ किसान हैं। हमें योजनाओं के केंद्र में 12 करोड़ किसानों को रखना होगा, तभी चौधरी साहब को श्रद्धांजलि होगी।”

शास्त्रीजी को भी सोचना पड़ता था

मोदी ने कहा, “जरा हरित क्रांति की बात सोचिए। सख्त फैसले लेने के लिए लालबहादुर शास्त्री को भी सोचना पड़ता था। तब भी कोई कृषि मंत्री नहीं बनना चाहता था क्योंकि उन्हें लगता कि कहीं कड़े फैसलों के चलते राजनीति न खत्म हो जाए। आज जो भाषा मेरे लिए बोली जा रही है, तब उनके लिए बोली जाती थी कि अमेरिका के इशारे पर हो रहा है। कभी जो अनाज विदेशों से मंगाकर खाते थे, आज हम रिकॉर्ड उत्पादन कर रहे हैं।”

मनमोहन जो बोले, मैं भी वही कर रहा हूं

प्रधानमंत्री ने कहा, “मनमोहन सिंह जी ने किसानों को भारत में एक बाजार देने की बात कही थी। जो आज यू-टर्न ले चुके हैं, वे शायद उनकी बात से सहमत होंगे। मनमोहन सिंह जी ने कहा था, ‘1930 के दशक में मार्केटिंग की जो व्यवस्था बनी, उससे मुश्किलें आईं और उसने किसानों को अपनी उपज को अच्छे दामों पर बेचने से रोका। हमारा इरादा है कि भारत को एक बड़ा कॉमन मार्केट की राह में मौजूद दिक्कतों को खत्म करें।’ आप लोगों को गर्व करना चाहिए कि जो बात सिंह साहब ने कही थी, वही मोदी कर रहा है। मजा ये है कि लोग राजनीतिक बयानबाजी करते हैं।”

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