नई दिल्ली। (Arnab Goswami Case) अर्नब गोस्वामी मामले पर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देश की सबसे बड़ी अदालत ने विशेषाधिकार हनन मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने विधानसभा सचिव को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूछा कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की याचिका के संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी क्यों नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना के लिए अर्नब के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोई इस तरह से कैसे डरा सकता है। इस तरह से धमकियां देकर किसी को अदालत में आने से कैसे रोका जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम इस तरह के आचरण की सराहना नहीं करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की यह कार्रवाई याचिकाकर्ता को डराने के लिए की गई है, क्योंकि उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया और ऐसा करने के लिए दंड देने की धमकी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से संबंधित रिपोर्ट के लिए विशेषाधिकार प्रस्ताव के उल्लंघन के कारण बताओ नोटिस के खिलाफ सुनवाई कर रही थी।
गौरतलब है कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में बुधवार की सुबह उनके घर से गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा गया है।