नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर और मऊ से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की पैरवी में जी-जान से जुटी पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तगड़ा झटका दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश की किसी जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने यह आदेश भी दिया है कि मुख्तार को दो सप्ताह के अंदर उत्तर प्रदेश पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाए। अब प्रयागराज की एमपी/एमएलए (MP/MLA) अदालत तय करेगी कि मुख्यार को बांदा जेल में रखना है या किसी और जेल में रखा जाएगा।
मोहाली पुलिस ने शहर के एक नामी बिल्डर की शिकायत पर मुख्तार के खिलाफ 08 जनवरी 2019 को 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगने का मुकदमा दर्ज किया था। 12 जनवरी को प्रोडक्शन वारंट हासिल करने के लिए पुलिस अदालत पहुंची। 21 जनवरी 2019 को मोहाली पुलिस मुख्तार अंसारी को प्रोडक्शन वारंट पर उत्तर प्रदेश से मोहाली ले आई। 22 जनवरी 2019 को मुख्तार को मोहाली की अदालत में पेश किया। एक दिन का रिमांड मिला। 24 जनवरी को न्यायिक हिरासत में मुख्तार को रोपड़ जेल भेज दिया गया।
2 साल में 8 बार बैरंग लौटी उत्तर प्रदेश पुलिस
पिछले 2 वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस की टीम 8 बार मुख्तार को लेने पंजाब गई लेकिन हर बार सेहत, सुरक्षा और कोरोना का कारण बताकर पंजाब पुलिस ने सौंपने से इन्कार कर दिया। पंजाब पुलिस डॉक्टर की सलाह का हवाला देती रही कि मुख्तार को डिप्रेशन, शुगर, रीढ़ की बीमारियां हैं। ऐसे में उसे कहीं और शिफ्ट करना ठीक नहीं है।
कानपुर में बिकरुकांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद मुख्तार ने अपनी जान का खतरा बताया था, उसने पत्र लिखकर आशंका जताई थी कि जैसे विकास दुबे की जीप पलट गई और उसकी जान चली गई, ऐसे ही उसकी भी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का तर्क
शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि मुख्तार पर 15 मुकदमे दर्ज हैं और वह गैंगस्टर की श्रेणी में आता है। वह पंजाब की जेल में मौज कर रहा है। उसके न आने से उत्तर प्रदेश की अदालतों में उसके खिलाफ सुनवाई रुकी हुई है। वहीं, पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि उत्तर प्रदेशसरकार की मांग संवैधानिक प्राविधानों के खिलाफ है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के वकील की दलील ठुकरा दी।