Karnataka Bengaluru 20/02/2019 RAFALE participating in the biennial air show - AERO India 2019 at Yelahanka Air Force Station in Bengaluru on 20th , Februray 2019 . Photo : Bhagya Prakash K / THE HINDU

नई दिल्ली। फ्रांस के साथ हुआ राफेल युद्धक विमान का सौदा एक बार फिर विवादों में है। सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर फ्रांस की एक वेबसाइट मीडिया पार्ट के खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट में नई जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने नई यह याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से स्वतंत्र जांच की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सोमवार को कहा कि अदालत इस मामले पर अर्जेंट सुनवाई” करेगी, हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी तिथि का जिक्र नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट ने दो साल पहले अदालत की निगरानी में राफेल डील की जांच की मांग से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। 14 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस सौदे की प्रॉसेस और पार्टनर चुनाव में किसी तरह के फेवर के आरोपों को बेबुनियाद बताया था।

कुछ दिन पहले फ्रांसीसी मीडिया ने कहा था कि 4.39 करोड़ रुपये क्लाइंट को दिए गए। फ्रेंच भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एएफए (AFA) की जांच रिपोर्ट के हवाले से प्रकाशित खबर के मुताबिक, दैसो एविएशन ने कुछ बोगस नजर आने वाले भुगतान किए हैं। कंपनी के 2017 के खातों के ऑडिट में 5 लाख 8 हजार 925 यूरो (4.39 करोड़ रुपए) क्लाइंट गिफ्ट के नाम पर खर्च दर्शाए गए। इतनी बड़ी रकम का कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया। मॉडल बनाने वाली कंपनी का मार्च 2017 का एक बिल ही दिखाया गया है।

एएफए के पूछने पर दैसो एविएशन ने बताया कि उसने राफेल विमान के 50 मॉडल एक भारतीय कंपनी से बनवाए। इन मॉडल के लिए 20 हजार यूरो (17 लाख रुपये) प्रति नग के हिसाब से भुगतान किया गया। हालांकि, ये मॉडल कहां और कैसे इस्तेमाल किए गए, इसका कोई सबूत नहीं दिया गया।

कांग्रेस ने सरकार से किए थे 5 सवाल

इस मामले को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि इस पूरे लेन-देन को गिफ्ट टू क्लाइंट की संज्ञा दी गई। अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे, तो इसे गिफ्ट क्यों कहा गया? क्या ये छिपे हुए ट्रांजेक्शन का हिस्सा था। सच्चाई सबके सामने आ गई। ये हम नहीं, फ्रांस की एक एजेंसी कह रही है। उन्होंने सरकार से 5 सवाल भी किए थे-

  1. 1.1 मिलियन यूरो के जो क्लाइंट गिफ्ट दैसो के ऑडिट में दिखा रहा है, क्या वह राफेल डील के लिए बिचौलिये को कमीशन के तौर पर दिए गए थे?
  2. जब दो देशों की सरकारों के बीच रक्षा समझौता हो रहा है तो कैसे किसी बिचौलिये को इसमें शामिल किया जा सकता है?
  3. क्या इस सबसे राफेल डील पर सवाल नहीं खड़े हो गए हैं?
  4. क्या इस पूरे मामले की जांच नहीं की जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि डील के लिए किसको और कितने रुपए दिए गए?
  5. क्या प्रधानमंत्री इस पर जवाब देंगे?

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