नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में बयान दिया। उन्होंने देशवासियों को आश्वस्त किया कि भारत हर कदम उठाने को तैयार है। हम न देश का मस्तक झुकने देंगे और न हम किसी का झुकाना चाहते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन से सीमा का प्रश्न अब तक अनसुलझा है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव रहा तो रिश्ते मधुर नहीं सकते। सीमा पर तनाव रहेगा तो द्विपक्षीय रिश्तों पर असर आएगा। गौरतलब है कि रक्षा मंत्री लोकसभा में पहले ही चीन की स्थिति पर बयान दे चुके हैं। 

चीन के साथ सीमा विवाद मसले पर राजनाथ सिंह ने कहा कि 15 जून को कर्नल संतोष बाबू ने अपने 19 बहादुर सैनिकों के साथ भारत की अखंडता को बचाने के उद्देश्य से गलवान घाटी में सर्वोच्च बलिदान दिया। हमारे प्रधानमंत्री सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए स्वयं लद्दाख गए। सीमा पर दोनों देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए कई समझौते हुए मगर चीन औपचारिक सीमाओं को नहीं मानता।

राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन लद्दाख में भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किमी भूमि का अनधिकृत कब्जा किए हुए है। इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंड्री एग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर  की 5,180 स्क्वायर किमी भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। उन्होंने आगे कहा कि अभी तक भारत-चीन के सीमावर्ती इलाके में कॉमनली डिलाइनेटेड लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) नहीं है और LAC को लेकर दोनों का परसेप्शन अलग-अलग है। इसलिए शांति और बहाल रखने के लिए दोनों देशों के बीच कई तरह के एग्रीमेंट्स और प्रोटोकॉल हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि 1993 और 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि एलएएसी के पास दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। समझौते में यह भी है कि जब तक सीमा मामले का पूर्ण समाधान नहीं होता है, तब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा का सख्ती से सम्मान किया जाएगा।

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