नई दिल्ली। बाबा रामदेव की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने उनके पूरे इंटरव्यू का बिना एडिट किया हुआ वीडियो मांगा है। मामले की सुनवाई अगले सोमवार को होगी। बाबा रामदेव पर एक इंटरव्यू के दौरान एलोपैथी और डॉक्टरों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप है।

बाबा रामदेव की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्वामी जी ने स्पष्टीकरण दिया है। डॉक्टरों के प्रति उनके मन में पूरा सम्मान है। पिछले साल जब पतंजलि ने कोरोनिल दवा निकाली और डॉक्टरों ने इसका विरोध किया तो उन्होंने कोरोनिल वापस ले ली थी। सभी को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। वायरल हुआ वीडियो आंशिक वीडियो था। मुकुल रोहतगी ने कहा कि बाबा रामदेव का जो वीडियो वायरल हुआ वह सही नहीं है, हम सही वीडियो कोर्ट में जमा करेंगे।

मुकुल रोहतगी ने साथ ही कहा कि स्वामी रामदेव को लेकर देशभर में विभिन्न शहरों में एफआईआर दर्ज कर दी गई है। हम यह चाहते हैं कि तमाम एफआईआर एक साथ यानी क्लब की जाएं और उनको दिल्ली ट्रांसफर किया जाए।

बाबा रामदेव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस याचिका पर 5 जुलाई को सुनवाई होगी। बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने मांग की कि देशभर में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ क्लब कर दिया जाए और इन्हें दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए। 

गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर विवादित बयान दिया था जिसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने जगह-जगह उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

बाबा रामदेव ने मामले में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ मिलाकर दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायालय से अंतरिम राहत के तौर पर आपराधिक शिकायतों की जांच पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि बाबा रामदेव के कथित बयान से देश में एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस शुरू हो गई थी। हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन द्वारा टिप्पणी को ‘अनुचित’ करार दिए जाने और पत्र लिखने के बाद बाबा रामदेव ने 23 मई को अपना बयान वापस ले लिया था।

error: Content is protected !!