नई दिल्ली। भारी-भरकम धनराशि खर्च कर शुरू की गईं ज्यादा किराये वाली कई ट्रेनों में अपेक्षित यात्री नहीं मिलने से भारतीय रेलवे का प्रबंधन चिंतित है। खासकर कम भीड़ वाले सीजन में रेलवे को भारी नुकसान होता है। ऐसे में घाटे को पाटने के लिए रेलवे बोर्ड ने जोनल मुख्यालयों के प्रिंसिपल चीफ कॉमर्शियल मैनेजरों (पीसीसीएम) को डिस्काउंट फेयर स्कीम लागू करने का अधिकार दिया है। वे अपने यहां ऐसी ट्रेनों को चिह्नित कर 30 सितंबर से योजना लागू करेंगे। इन ट्रेनों में गतिमान, तेजस, डबल डेकर और इंटरसिटी एक्सप्रेस शामिल हैं। पीसीसीएम को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने यहां यात्रियों की कमी से जूझ रही ट्रेनों को चिह्नित कर आगामी 30 सितंबर से योजना लागू करें। गौरतलब है कि अब तक रेलवे बोर्ड को ही किराए में छूट देने का अधिकार था।
रेलवे फिलहाल 50 प्रतिशत से कम मांग वाली शताब्दी एक्सप्रेस के किराए को कम कर रहा है। इसके अलावा इंटरसिटी, डबल डेकर सहित अन्य ट्रेनों में ट्रेन छूटने के चार घंटे पहले पहला आरक्षण चार्ट बनने पर खाली सीट की बुकिंग कराते समय बेसिक किराए पर 10 प्रतिशत छूट दी जाती है।
नए आदेश के अनुसार पिछले साल जिन महीनों में 50 प्रतिशत से कम सीटें बुक हुई होंगी, इस साल उन ट्रेनों में बेसिक किराए, रिजर्वेशन शुल्क, सुपरफास्ट चार्ज और जीएसटी में 25 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। पीसीसीएम डिस्काउंट स्कीम को ट्रेन के तय रूट, आरंभ से लेकर अंतिम स्टेशन तक सहित कई रूपों में प्रारंभ कर सकते हैं। यह छूट पूरे साल, कुछ महीनों, सीजन और वीकेंड में भी दी जा सकती है। साफ है कि रेलवे ने सभी पीसीसीएम के इस मामले में व्यापक अधिकारी दिए हैं।
नई व्यवस्था लागू होने पर कुछ परिस्थितियों में कुछ सुविधाएं नहीं मिलेगी। इसके अनुसार पहला आरक्षण चार्ट बनने पर मिलने वाली 10 प्रतिशत छूट नहीं मिलेगी। रियायती और पीटीओ के टिकट का शुल्क पूरे किराए पर लगेगा। तत्काल कोटे के टिकट पर भी रियायती किराया लागू नहीं होगा। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि चार महीनों तक योजना की मॉनीटरिंग करके उसकी रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को भेजनी होगी। इसके बाद ही इस सुविधा को जारी रखने या न रखने अथवा कुछ बदलावों के साथ लागू करने पर रेलवे बोर्ड फैसला करेगा।