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प्लास्टिक कचरे से बनेंगे राजमार्ग, RIL ने की NHAI को प्रौद्योगिकी देने की पेशकश

नागोथाने (महाराष्ट्र)। भारत में अभी तक उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कुछ राज्यों में ट्रायल के तौर पर प्लास्टिक कचरे से कुछ किलोमीटर सड़कें ही बनी हैं पर अब इस कार्य में तेजी आने की उम्मीद है। ऐसा होने पर न केवल प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण से काफी हद तक निजात मिलेगी बल्कि सड़कों को बनाने पर होने वाले खर्च में भी कमी  आएगी। दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL ) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National highway authority of india – NHAI) को प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण की प्रौद्योगिकी देने की पेशकश की है।

RIL ने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित अपने नागोथाने विनिर्माण संयंत्र में इस प्रौद्योगिकी का परीक्षण किया है। कंपनी कई और पायलट प्रोजेक्ट पर भी काम कर रही है। कंपनी ने अपने संयंत्र में 50 टन प्लास्टिक अपशिष्ट को कोलतार के साथ मिलाकर करीब 40 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई है।

कंपनी के पेट्रोरसायन कारोबार के मुख्य परिचालन अधिकारी विपुल शाह ने बुधवार को मीडिया से कहा, “पैकेटबंद सामानों के खाली पैकेट, पॉलीथीन बैग जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट का इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की प्रणाली विकसित करने में हमें करीब 14 से 18 महीने का समय लगा। हम इस अनुभव को साझा करने के लिए NHAI के साथ बाचतचीत कर रहे हैं, ताकि सड़क निर्माण में प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग किया जा सके।” NHAI के अलावा RIL देशभर में राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को भी यह प्रौद्योगिकी सौंपने के लिए बातचीत कर रही है।

यह प्रौद्योगिकी ऐसे प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए विकसित की गई है जिसकी रिसाइकिल संभव नहीं है।   इस अपशिष्ट के सड़क निर्माण में उपयोग से होने वाले लाभ के बारे में शाह ने कहा, “यह ना सिर्फ प्लास्टिक के सतत उपयोग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि वित्तीय तौर पर लागत प्रभावी भी होगा।”
     

एक किलोमीटर सड़क यानी एक लाख की बचत

शाह ने बताया कि हमारा अनुभव बताता है कि इस प्रौद्योगिकी से एक किलोमीटर लंबी सड़क बिछाने में एक टन प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग होता है। इससे हमें एक लाख रुपये बचाने में मदद मिलती है और इस तरह हमने 40 लाख रुपये बचाए हैं। सड़क निर्माण में कोलतार के आठ से 10 प्रतिशत तक उपयोग के विकल्प के तौर पर हम इस प्लास्टिक अपशिष्ट का उपयोग कर सकते हैं। यह सड़क की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। इस प्रौद्योगिकी से बनी सड़क पिछले साल की मानूसनी बारिश में भी खराब नहीं हुई।
 

gajendra tripathi

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