बरेली लाइव नेटवर्क, देहरादून : देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर खूब बवाल मचा। तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारियों ने शनिवार को जन-आक्रोश रैली निकाली और काला दिवस मनाया। पुलिस ने रोकना चाहा तो उसके साथ आंदोलनकारियों की धक्कामुक्की भी हुई। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा समर्थन देने के लिए मौके पर पहुंचे।
हक-हकूकधारी महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि शनिवार को देवस्थानम बोर्ड को दो साल पूरे हो गए हैं। बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर गांधी पार्क पर एकत्रित हुए चार धाम से आये तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और फिर अपनी जन आक्रोश रैली शुरू की। रैली गांधी पार्क, एश्ले हॉल, राजपुर रोड, सुभाष रोड होते हुए सचिवालय के पास पहुंची, जहां पहले से तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया। पुलिस और तीर्थ पुरोहितों में नोकझोंक भी हुई।
आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि 30 नवंबर तक फैसला वापस न लिया तो उग्र आंदोलन करेंगे। साथ ही कहा है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार दिसंबर को प्रस्तावित रैली का विरोध भी करेंगे।
इससे चार दिन पहले बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों ने कैबिनेट मंत्रियों के आवास का घेराव किया था। रैली में सुरेश सेमवाल, पुरुषोत्तम उनियाल, आचार्य संतोष त्रिवेदी, विपिन जोशी, संजय तिवारी, ब्रह्म कपाल, उमेश सती, सौरभ शुक्ला, निखलेश सेमवाल आदि शामिल रहे।
इसके अलावा चारों धामों के शीतकालीन पूजा स्थलों में भी तीर्थ पुरोहित व मंदिरों से जुड़े हक-हकूकधारियों ने प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया। गुप्तकाशी में केदार सभा के अध्यक्ष व चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष विनोद शुक्ला के नेतृत्व में यह रैली निकाली गई।
हरिद्वार में भी इस मुद्दे को लेकर सियासत गर्माने लगी है। संत-महंत से लेकर तीर्थ पुरोहितों के बोर्ड भंग करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दोनों गुट भी आंदोलन में कूद पड़े हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (श्री निरंजनी गुट) सरकार से वार्ता कर बोर्ड भंग करवाने का दबाव बना रहा है जबकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (महानिर्वाणी गुट) सरकार को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की चेतावनी दे चुका है।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड गठित हुआ। इसमें मठ-मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण किया गया। तभी से तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले ही दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ मंदिर में दर्शनों से रोका गया।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड पर अब मंत्रिमंडल की सब कमेटी फैसला लेगी। यह कमेटी दो दिन के भीतर रिपोर्ट का अध्ययन कर अपनी सिफारिश सरकार को देगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में गठित हाईपावर कमेटी एक दिन पहले सरकार को विस्तृत रिपोर्ट सौंप चुकी है। सरकार तीर्थ-पुरोहितों के हितों को लेकर संवेदनशील है और सकारात्मक निर्णय ही लेगी।
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