लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे जबकि सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को पद से हटा दिया गया है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव की ओर से बुलाये गये आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन में स्वयं रामगोपाल ने कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे, जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। रामगोपाल ने अखिलेश को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसे अधिवेशन ने मंजूर किया। अधिवेशन ने मुलायम सिंह यादव को सपा का संरक्षक बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगायी तो राज्यसभा सांसद अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मुलायम ने हालांकि पत्र जारी कर इस अधिवेशन को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में शामिल होने वालों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।
Mulayam Singh Yadav writes letter to party workers, asks them not to attend National Executive meet called by Ramgopal Yadav pic.twitter.com/cigXo5sSn8
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 1, 2017
अधिवेशन में अखिलेश ने कहा कि वह पिता मुलायम का जितना सम्मान पहले करते थे, उससे कई गुना ज्यादा सम्मान आगे करेंगे। ‘अगर नेताजी के खिलाफ साजिश हो और पार्टी के खिलाफ साजिश हो तो नेताजी का बेटा होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों के खिलाफे हम खड़े हों।’
इससे पहले कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव ने लेटर जारी कर इसे पार्टी संविधान के खिलाफ बताया उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे इसमें शामिल न हों। साथ ही किसी लेटर पर दस्तखत न करें। मुलायम ने फैसले से पहले शिवपाल यादव के साथ बैठक की थी।
अखिलेश ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को अधिवेशन में आने को कहा था। अखिलेश ने साबित कर दिया कि अब वो ही समाजवादी पार्टी हैं, इसलिए वो अपनी सभी बात मनवाने में सफल रहे हैं।सपा लगातार ये कह रही है कि वो राज्य की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडने को तैयार है।
This National Executive unanimously elects Akhilesh Yadav ji as the national president of Samajwadi Party:Ramgopal Yadav pic.twitter.com/GEwsVGLjp5
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 1, 2017
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव की पार्टी में वापसी के ऐलान के बाद लगा कि यह झगड़ा खत्म हो गया है, लेकिन कुछ मांगों को लेकर अखिलेश खेमा अब भी अड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए 40 फीसदी सदस्यों की मंजूरी लेनी होती है मगर अखिलेश के पास 40 फीसदी से ज्यादा का समर्थन हैं।
शनिवार सुबह अखिलेश द्वारा अपनी ताकत दिखाने के बाद पार्टी की वरिष्ठ नेताओं की मध्यस्थता में सुलह का रास्ता निकाला गया। नतीजतन इन दोनों नेताओं की 24 घंटे के भीतर ही पार्टी में वापसी हो गई। इस पूरी सियासी उठापठक में कहा गया कि शह-मात के खेल में अखिलेश यादव ने यह बाजी जीती और पार्टी में अपने विरोधियों को पछाड़कर मुलायम सिंह के बाद पार्टी के निर्विवाद रूप से सबसे बड़े नेता के रूप में अब स्थापित हो गए हैं।
पार्टी से निष्कासन के बाद भी अखिलेश और रामगोपाल झुकने से इनकार करते हुए महाअधिवेशन बुलाने पर अड़े रहे थे। अब वापसी के बावजूद और पार्टी अध्यक्ष की इच्छा के बगैर इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने से यही संदेश जा रहा है कि पार्टी में अब अखिलेश यादव को नजरअंदाज करना असंभव है।
Agar Netaji ke khilaaf saazish ho toh Netaji ka beta hote huye meri zimmedari banti hai ki main saazish ko saamne laaon:Akhilesh Yadav pic.twitter.com/vktjyWHfiy
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 1, 2017
सपा समर्थक अखिलेश को नई भूमिका में भी देखना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि अगर पार्टी जीतती है तो सीएम अखिलेश ही बनेंगे। अखिलेश 403 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान करने के लिए आजाद होंगे, साइकिल का चुनाव चिन्ह भी वही बाटेंगे और अखिलेश का विरोध करने वाले नेता हाशिए पर चले जाएंगे।