मुलायम ने हालांकि पत्र जारी कर इस अधिवेशन को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में शामिल होने वालों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी।
अधिवेशन में अखिलेश ने कहा कि वह पिता मुलायम का जितना सम्मान पहले करते थे, उससे कई गुना ज्यादा सम्मान आगे करेंगे। ‘अगर नेताजी के खिलाफ साजिश हो और पार्टी के खिलाफ साजिश हो तो नेताजी का बेटा होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों के खिलाफे हम खड़े हों।’
इससे पहले कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले मुलायम सिंह यादव ने लेटर जारी कर इसे पार्टी संविधान के खिलाफ बताया उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे इसमें शामिल न हों। साथ ही किसी लेटर पर दस्तखत न करें। मुलायम ने फैसले से पहले शिवपाल यादव के साथ बैठक की थी।
अखिलेश ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को अधिवेशन में आने को कहा था। अखिलेश ने साबित कर दिया कि अब वो ही समाजवादी पार्टी हैं, इसलिए वो अपनी सभी बात मनवाने में सफल रहे हैं।सपा लगातार ये कह रही है कि वो राज्य की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लडने को तैयार है।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव की पार्टी में वापसी के ऐलान के बाद लगा कि यह झगड़ा खत्म हो गया है, लेकिन कुछ मांगों को लेकर अखिलेश खेमा अब भी अड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए 40 फीसदी सदस्यों की मंजूरी लेनी होती है मगर अखिलेश के पास 40 फीसदी से ज्यादा का समर्थन हैं।
शनिवार सुबह अखिलेश द्वारा अपनी ताकत दिखाने के बाद पार्टी की वरिष्ठ नेताओं की मध्यस्थता में सुलह का रास्ता निकाला गया। नतीजतन इन दोनों नेताओं की 24 घंटे के भीतर ही पार्टी में वापसी हो गई। इस पूरी सियासी उठापठक में कहा गया कि शह-मात के खेल में अखिलेश यादव ने यह बाजी जीती और पार्टी में अपने विरोधियों को पछाड़कर मुलायम सिंह के बाद पार्टी के निर्विवाद रूप से सबसे बड़े नेता के रूप में अब स्थापित हो गए हैं।
पार्टी से निष्कासन के बाद भी अखिलेश और रामगोपाल झुकने से इनकार करते हुए महाअधिवेशन बुलाने पर अड़े रहे थे। अब वापसी के बावजूद और पार्टी अध्यक्ष की इच्छा के बगैर इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने से यही संदेश जा रहा है कि पार्टी में अब अखिलेश यादव को नजरअंदाज करना असंभव है।
सपा समर्थक अखिलेश को नई भूमिका में भी देखना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि अगर पार्टी जीतती है तो सीएम अखिलेश ही बनेंगे। अखिलेश 403 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान करने के लिए आजाद होंगे, साइकिल का चुनाव चिन्ह भी वही बाटेंगे और अखिलेश का विरोध करने वाले नेता हाशिए पर चले जाएंगे।
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