नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में एक ओर जहां  आतंकवादी बुरहान वानी मुठभेड़ कांड का एक साल पूरा होने पर विरोध प्रदर्शनों की आशंका के मद्देनजर घाटी में तैनात सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गयी है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में कानून व्यवस्था की संभावित चुनौतियों से निपटने खासकर अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर अर्धसैनिक बल के 21 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किये हैं।ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर के त्राल में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के बारे कहा है कि ‘मेरे बस में होता तो बुरहान वानी को जिंदा रखता और उससे बातें करता।’  बात दें कि आतंकी संगठन हिजबुल का कमांडर बुरहान वानी एक साल पहले जम्मू कश्मीर के त्राल एनकाउंटर में मारा गया था।8 जुलाई 2016 को सुरक्षा बलों ने बुरहान वानी को मार गिराया था। इसके बाद से घाटी में कई महीनों से हिंसा जारी है।

सैफुद्दीन साल 1983 में नेशनल कॉन्फ्रेंस से बारामूला लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर आए थे। इसके बाद साल 1990 में वह राज्यसभा में पहुंचे। साल 1997-98 में वह इंद्र गुजराल सरकार में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री बने। इसके बाद साल 1998-99 में देवेगौड़ा सरकार में भी मंत्री रहे। साल 1999 में अटल बिहारी सरकार के खिलाफ वोट देने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। 2003 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा पहुंचे। 2006 से 2009 तक वह मनमोहन सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे।

कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की पिछले साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत के बाद आतंकी हिंसा से प्रभावित इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस मुठभेड़ के एक साल पूरा होने पर संभावित प्रदर्शनों से सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की चुनौतियों का गृह मंत्रालय ने आकलन कर हालात से निपटने की तैयारी कर ली है।

केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि के मुताबिक भारत सरकार कश्मीर में हालात को नियंत्रण में रखने के लिये पूरी तरह से तैयार है, इसके लिये केन्द्रीय बलों की 214 कंपनियां भेज कर दी हैं।जिससे आठ जुलाई और फिर अमरनाथ यात्रा के दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था बहाल रखी जा सके। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की यह संख्या राज्य पुलिस बल से अतिरिक्त है। अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 जवान होते है।

 

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर में एक ओर जहां  आतंकवादी बुरहान वानी मुठभेड़ कांड का एक साल पूरा होने पर विरोध प्रदर्शनों की आशंका के मद्देनजर घाटी में तैनात सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी गयी है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में कानून व्यवस्था की संभावित चुनौतियों से निपटने खासकर अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर अर्धसैनिक बल के 21 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किये हैं।ऐसे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर के त्राल में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के बारे कहा है कि ‘मेरे बस में होता तो बुरहान वानी को जिंदा रखता और उससे बातें करता।’  बात दें कि आतंकी संगठन हिजबुल का कमांडर बुरहान वानी एक साल पहले जम्मू कश्मीर के त्राल एनकाउंटर में मारा गया था।8 जुलाई 2016 को सुरक्षा बलों ने बुरहान वानी को मार गिराया था। इसके बाद से घाटी में कई महीनों से हिंसा जारी है।

सैफुद्दीन साल 1983 में नेशनल कॉन्फ्रेंस से बारामूला लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर आए थे। इसके बाद साल 1990 में वह राज्यसभा में पहुंचे। साल 1997-98 में वह इंद्र गुजराल सरकार में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री बने। इसके बाद साल 1998-99 में देवेगौड़ा सरकार में भी मंत्री रहे। साल 1999 में अटल बिहारी सरकार के खिलाफ वोट देने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। 2003 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और राज्यसभा पहुंचे। 2006 से 2009 तक वह मनमोहन सिंह की कैबिनेट में मंत्री रहे।

कश्मीर घाटी में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की पिछले साल आठ जुलाई को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत के बाद आतंकी हिंसा से प्रभावित इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी हैं। इस मुठभेड़ के एक साल पूरा होने पर संभावित प्रदर्शनों से सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था की चुनौतियों का गृह मंत्रालय ने आकलन कर हालात से निपटने की तैयारी कर ली है।

केन्द्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि के मुताबिक भारत सरकार कश्मीर में हालात को नियंत्रण में रखने के लिये पूरी तरह से तैयार है, इसके लिये केन्द्रीय बलों की 214 कंपनियां भेज कर दी हैं।जिससे आठ जुलाई और फिर अमरनाथ यात्रा के दौरान शांति एवं कानून व्यवस्था बहाल रखी जा सके। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों की यह संख्या राज्य पुलिस बल से अतिरिक्त है। अर्धसैनिक बल की एक कंपनी में 100 जवान होते है।

 

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