आसाराम बापू
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में यौन उत्पीड़न के आरोप में दर्ज मामले में कथा वाचक आसाराम को नियमित जमानत और अंतरिम जमानत देने से आज इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने गुजरात में दर्ज इसी तरह के एक अन्य मामले में चिकित्सकीय आधार पर आसाराम को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया।

स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर जमानत के लिये आसाराम द्वारा दायर याचिका पर पीठ ने कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जा रहा है। पीठ ने महत्वपूर्ण गवाहों पर हमले और कई तारीखों पर अभियोजन के गवाहों से पूछताछ में विलंब करने के तथ्य के मद्देनजर उनकी नियमित जमानत की अर्जी भी खारिज कर दी।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 अक्तूबर को बलात्कार के मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे आसाराम की याचिका पर राजस्थान सरकार से जवाब मांगा था। आसाराम इस याचिका में उन्हें जोधपुर में एम्स में इलाज कराने के अदालत के निर्देश में संशोधन चाहते थे। गुजरात सरकार ने भी शीर्ष अदालत से कहा था कि आसाराम के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले की सुनवाई तेजी से होने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने यह भी कहा था कि इस मामले की सुनवाई छह महीने में पूरी हो जायेगी, इसलिए उन्हें इस प्रकरण में जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 18 नवंबर को आसाराम बलात्कार प्रकरण में काले जादू के माध्यम से कथित रूप से बच्चों की हत्या और दस गवाहों पर हमले के मामलों की सीबीआई से जांच के लिये दायर याचिका पर केन्द्र और पांच राज्यों से जवाब मांगा था। आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 31 अगस्त, 2013 को गिरफ्तार किया था और तभी से वह जेल में हैं।

सूरत की रहने वाली दो बहनों ने अलग अलग शिकायतों में आसाराम और उनके बेटे नारायण साई पर उनका बलात्कार करने और गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाने सहित अनेक आरोप लगाये थे। बडी बहन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि जब वह अहमदाबाद के निकट आसाराम के आश्रम में रह रही थी तो 2001 से 2006 के दौरान उन्होंने उसका बार बार यौन उत्पीडन किया था। एक किशोरवय लड़की ने आसाराम पर जोधपुर के निकट मनाई गांव में स्थित आश्रम में उसका यौन उत्पीडन करने का आरोप लगाया था। यह लडकी उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली छात्र है जो आश्रम में रहती थी।

एजेंसी

 

 

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