नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI, सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में खुद के नोटिस (स्वत: संज्ञान) पर शुरू की गई सुनवाई को बंद कर दिया है। अदालत ने कहा कि मामले को दो साल बीत चुके हैं और साजिश की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत कम रह गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील उत्सव बैंस ने न्यायमूर्ति गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुआई वाली पीठ ने इस मामले में 1 साल 9 महीने बाद गुरुवार को सुनवाई शुरू की थी। शीर्ष अदालत ने यह फैसला पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक की रिपोर्ट के आधार पर किया। उन्हें साजिश की जांच करने का काम सौंपा गया था।
अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति पटनायक की रिपोर्ट में साजिश को स्वीकार किया गया है और इसे खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल, न्यायमूर्ति गोगोई ने सीजेआई रहते हुए कुछ कड़े फैसले किए जो साजिश को बल देते हैं। रिपोर्ट में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के एक इनपुट का हवाला भी है। इसमें बताया गया है कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC, एनआरसी) को आगे बढ़ाने की वजह से कई लोग न्यायमूर्ति गोगोई से नाखुश थे।
दो साल पहले शुरू हुई थी सुनवाई
इस मामले की अंतिम सुनवाई 25 अप्रैल, 2019 को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने की थी। तब अदालत ने इसकी जांच करने का फैसला किया था कि ये आरोप सीजेआई और अदालत की गरिमा को नुकसान पहुंचाने की साजिश तो नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी ने लगाया था आरोप
सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह महिला 2018 में न्यायमूर्ती गोगोई के आवास पर बतौर जूनियर कोर्ट असिस्टेंट पदस्थ थी। महिला का दावा था कि बाद में उसे नौकरी से हटा दिया गया था।
महिला ने अपने हलफनामे की कॉपी 22 जजों को भेजी थी। इसी आधार पर चार वेब पोर्टल्स ने न्यायमूर्ती गोगोई के बारे में खबर प्रकाशित की। अप्रैल, 2019 में इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी।