नई दिल्ली। जैसा कि पहले से ही अंदेशा था, वैसा ही हुआ। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों ने शाहीन बाग के प्रदर्शनकिरयों को उनके हाल पर छोड़ दिया। 15 दिसंबर 2019 से धरने पर बैठे ये प्रदर्शनकारी अब न केवल नेतृत्व विहीन होकर ऊबने लगे हैं बल्कि उनके आपसी मतभेद भी सामने आने लगे हैं। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में शुरू हुए इस धरने में शामिल लोग पहले जहां एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) के विरोध की भी बात कर रहे थे, वहीं शनिवार को सबकुछ भूलकर सुप्रीम कोर्ट की वार्ताकार के सामने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू नहीं करने की मांग करने लगे। इससे भी गजब बात यह हुई कि प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने रोड नंबर 9 को खाली कर दिया और आवाजाही शुरू हो गई लेकिन इसके कुछ ही देर बाद दूसरे ग्रुप ने इस सड़क को फिर बंद कर दिया।
डीसीपी साउथ ईस्ट ने बताया, “प्रदर्शकारियों के एक गुट ने रोड नंबर 9 को खोल दिया था। लेकिन कुछ देर बाद ही दूसरे ग्रुप ने दोबारा से रोड को बंद कर दिया। प्रदर्शकारियों के बीच खींचतान जारी है, अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।”
इससे पहले लगातार चौथे दिन शनिवार को सुबह 10.30 बजे वार्ताकार साधना रामचंद्रन शाहीन बाग पहुंचीं और प्रदर्शनकारियों को रास्ता खोलने के लिए समझाया। प्रदर्शनकारियों ने उनके समक्ष सात मांगे रखते हुए कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता, तब तक रास्ते को खाली नहीं किया जाएगा। इस पर साधना रामचंद्रन ने भी दो टूक कहा, “यदि मार्ग नहीं खुला तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। हम प्रदर्शन खत्म करने को नहीं कह रहे हैं।” रामचंद्रन ने कहा, “मैं यहां सरकार की ओर से नहीं आई हूं। हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे की आपको सुरक्षा दी जाए। आपको एक पार्क दे दिया जाएगा, जहां पर आप प्रदर्शन को जारी रख सकते हैं।”
हालांकि, रामचंद्रन की इस बात का प्रदर्शनकारियों ने विरोध किया उनके समक्ष सात मांगे रखीं। प्रदर्शनकारियों ने कहा, “हमारी मांग है कि यदि आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और एल्युमिनियम शीट चाहिए। साथ ही शाहीनबाग के लोगों और जामिया के विद्यार्थियों पर दर्ज किए गए मुकदमें वापस लिए जाने चाहिए। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू नहीं किया जाए। केंद्रीय मंत्रियों के विवादित बयानों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारीजनों को मुआवजा राशि दी जानी चाहिए और प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च सरकार वहन करे।” प्रदर्शनकिरयों ने कहा कि उन्हें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट उनकी सुरक्षा को लेकर आश्वासन दे।
प्रदर्शनकारियों के रवैये से नाराज साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शन स्थल से निकलते समय पत्रकारों से कहा, “यहां आने को लेकर मैं वकील संजय हेगड़े से बात करुंगी। जाहिर है 70 दिनों से सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा जिसकी वजह से जिस रास्ते पर प्रदर्शन हो रहा है। इससे आस-पास के लोगों को दिक्कत हो रही है।”
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