नई दिल्ली। चुनावों में लगातार हार से परेशान व बिहार में हुई दुर्दशा के बाद अंतर्कलह से परेशान कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश शुरू हो गई है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तीन नई कमेटियों का गठन किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को इन समितियों में जगह मिली है लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को बाहर रखा गया है।
आर्थिक, विदेश मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बनाई गई इन तीनों कमेटियों में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का नाम शामिल है। हाल के दिनों में बगावती सुरों के लेकर चर्चित रहे गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और शशि थरूर को भी इनमें जगह मिली है। ये तीनों नेता “जी-23” नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इस साल की शुरुआत में लिखी गई इस चिट्ठी में पार्टी के लिए पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की गई थी।
आर्थिक मामलों को लेकर बनी समिति में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और दिग्विजय सिंह का नाम शामिल है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर बनी कमेटी में राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद को शामिल किया गया है। विदेश मामलों को लेकर बनी समिति में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को संयोजक बनाया गया है।
कार्यकर्ताओं को संदेश देने की कोशिश
दरअसल, एक के बाद एक पराजय से जहां कांग्रेस पार्टी बेजार हैं, वहीं कार्यकर्ता भी भविष्य को लेकर सशंकित हैं। कई वरिष्ठ नेताओं के सुर बगावती हो रहे हैं। पार्टी के सीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं। खासकर, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के रवैये और नेतृत्व क्षमता को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सवाल किए जा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी को कई बार कानूनी पचड़ों से बचाने वाले वरिष्ठ नेता व पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक साक्षात्कार में पार्टी की राज्यों में हो रही हार को लेकर आत्ममंथन की बात कही थी। उनके इस बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि पार्टी के अंतरिक मसलों को मीडिया में लाना ठीक नहीं है। इससे कार्यकर्ता आहत होते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन ने भी सिब्बल के बयान पर नाराजगी जताते हुए उनके लिए बेहद तल्ख शब्दों का इस्तेमाल किया था।