नई दिल्ली। तीन बड़े राज्यों महाराष्ट्र,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव निपटने के साथ ही विपक्ष ने लोकसभाचुनाव के लिए बिसात बिछानी शुरू कर दी है। लेकिन, उसके महागठबंधन की गांठ खुलतीनजर आ रही है। भाजपा के खिलाफ महागठबधन को लेकर सोमवार को यहां हुई विपक्षी दलोंकी बैठक में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजान समाज पार्टी (बसपा) शामिल नही हुईं। हालांकिइस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा, ममता बनर्जी (TMC), चंद्रबाबूनायडू (TDP), शरद पवार (NCP), ), एमके स्टालिन (DMK), अरविंदकेजरीवाल (AAP), फारुख अब्दुल्ला (NC) समेत तमाम विपक्षी दल के नेता शामिल हुए।

11 दिसंबर से शुरू हो रहा है शीतकालीन सत्र

इस बैठक में 17 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह बैठक कई मायने में अहम है क्योंकि 11 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है और पांच विधानसभा चुनाव के नतीजे भी सामने आ रहे हैं।

बैठक का समन्वय तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चन्द्रबाबू नायडू ने किया। उन्होंने सभी गैर-बीजेपी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया था। बैठक का मुख्य एजेंडा एक गैर-भाजपा मोर्चा बनाने के लिए भविष्य की कार्रवाई तय करना था लेकिन सपा और बसपा के रुख को बड़ा झटका माना जा रहा है।  

दरअसल, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं। हालांकि, अभी तक सीटों को लेकर ऐलान नहीं हुआ है लेकिन जो खबरें है उसके मुताबिक अनुसार 35-40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बाकी सीटों पर सपा के अलावा राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) व गठबंधन में शामिल होने वाले अन्य छोटे दलों के प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगे।

गठबंधन का स्वरूप क्या होगा इसके लिए फिलहालइंतजार करना होगा लेकिन 11 दिसंबर के नतीजेके बाद स्थिति बहुत हद तक साफ हो जाने की संभावना है। 11 दिसंबर को पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वालेहैं। चुनावी सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वापसी करने को तैयार है जबिक मध्यप्रदेश का मामला फंसा हुआ है।

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