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सेना दिवस पर विशेष लेख : अदम्य साहस और शौर्य की प्रतीक भारतीय सेना

BareillyLive : 15 जनवरी को प्रतिवर्ष भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारतीय सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर इन चीफ जनरल फ्रांसिस रॉय बुचर से भारतीय सेना के प्रथम कमांडर इन चीफ के रूप में सन 1949 में पदभार ग्रहण किया था। तभी से 15 जनवरी को प्रतिवर्ष सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के अतिरिक्त पूरे भारतवर्ष के सैन्य मुख्यालयों में भव्य रूप में परेड एवं सैनिकों के प्रर्दशन के रूप में इसे मनाया जाता है। 15 जनवरी को भारतीय सैनिकों की उपलब्धियां, देश सेवा में अप्रतिम योगदान एवं त्याग हेतु उन्हें विभिन्न पदकों से सम्मानित भी किया जाता है। सेना दिवस के अवसर पर पूरा राष्ट्र थल सेना की वीरता एवं कुर्बानियों की दास्तां बयां करता है। इस दिन भारतीय सेना के शक्ति प्रदर्शन के साथ-साथ उसकी उपलब्धियों पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह दिन उन सैनिकों के लिए मनाया जाता है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश सेवा व भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए मातृभूमि की रक्षा हेतु अपना सब कुछ त्याग दिया।

जनरल के.एम. करिअप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कुर्ग में हुआ था। सन 1917 में हाई स्कूल की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उनका चुनाव डेली कैडेट कॉलेज इंदौर में हो गया तथा 1 दिसंबर 1919 को स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात उन्हें सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में अस्थाई कमीशन प्रदान किया गया। जून 1923 में उन्हें राजपूत रेजीमेंट में स्थानांतरित कर दिया गया, और अंत तक राजपूत रेजीमेंट ही उनकी स्थाई रेजीमेंट रही। अपनी फतेहगढ़ में तैनाती के दौरान अंग्रेज अधिकारी की पत्नी द्वारा उन्हें ‘किपर’ उपनाम दिया गया जो अंत तक उनके साथ जुड़ा रहा। सन 1942 में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में बटालियन को कमान करने वाले वे सर्वप्रथम भारतीय अधिकारी थे।

वैसे तो सेना का गठन 01 अप्रैल 1895 को हुआ था, किंतु उस समय इनके उच्च अधिकारी ब्रिटिश ही हुआ करते थे। जिस समय सन 1949 में जनरल करियप्पा ने भारतीय सेना की कमान संभाली थी उस समय सेना में लगभग 02 लाख सैन्य बल था। सेना युद्ध काल के अतिरिक्त शांति काल में भी देश में त्रासदी की स्थिति को नियंत्रित करने, बचाव एवं राहत कार्य को करने तथा आपातकाल में लोगों के पास प्रत्येक प्रकार की मदद पहुंचाने का कार्य बखूबी करती है। सेना के प्रथम कमांडर इन चीफ जनरल करियप्पा ने सन 1953 में सेवा से अवकाश ग्रहण किया था। उन्हें सन 1986 में उनकी दीर्घकालीन सेवाओं को देखते हुए फील्ड मार्शल के पांच स्टार रैंक पर प्रोन्नत किया गया था।

उल्लेखनीय है कि फील्ड मार्शल कभी भी सेवा से अवकाश ग्रहण नहीं करता और मृत्यु पर्यन्त तक एक वर्दी धारी सैनिक रहता है। इस समय भारतीय सेना में लगभग 14 लाख सैनिक हैं। भारतीय सेना खून जमा देने वाली पहाड़ियों में ठंड में तथा खून में उबाल पैदा कर देने वाले रेगिस्तानी इलाकों में बखूबी अपने कार्य को अंजाम देते हुए विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेना के रूप में जानी जाती है। आज के दिन भारतीय सैनिकों को कोटि-कोटि नमन के साथ प्रस्तुत है आज की युवा पीढ़ी के लिए चार पंक्तियां–‘

‘खून में हमारे वो रवानी चाहिए, मौत आए ऐसी मौत आनी चाहिए, हो ज़िक्र हर ज़ुबां पे वो कहानी चाहिए, इस देश पे मिटे जो वो जवानी चाहिए’

सेना दिवस पर बहादुरी के लिए ‘सेना पदक’ से नवाजे गए बरेली के दामाद कैप्टन कार्तिकेय

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सर्च आपरेशन के दौरान तीन खूंखार आतंकवादियों को मार गिराने में साहस का परिचय देने वाले कैप्टन कार्तिकेय को सेना पदक से नवाजा गया है। लखनऊ छावनी में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी हुए एक भव्य समारोह में उन्हें यह सम्मान चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने दिया है। कैप्टन कार्तिकेय चमोली सिविल लाइंस बरेली निवासी रोटेरियन राजीव खुराना (प्रेम जी पीस वाला) के भतीजी दामाद हैं और वर्तमान में दिल्ली में रह रहे हैं। इनके बड़े भाई संजीव खुराना की बेटी नम्रता की शादी दो माह पूर्व कैप्टन कार्तिकेय के साथ हुई थी। दामाद को शौर्य, बहादुरी व अदम्य साहस के लिए सम्मान मिलने से परिवार में खुशी का माहौल है।

Sachin Shyam Bhartiya

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