सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से कहा कि पहले से गठित विशेष अदालतों से मामलों को जिला अदालतों में भेज दिया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए दोनों राज्यों के जिलों में जरूरत के अनुसार अदालतों का गठन किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि विशेष अदालतें जब सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई करेंगी तो उनकी प्राथमिकता में उम्र कैद के मामले होंगे।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आपराधिक मामलों में दोषी सिद्ध नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। याचिका में निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े इस तरह के मामलों में तेज सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने की भी मांग की गई थी।
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