नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी फिल्म “आर्टिकल 15” को चुनौती देने वाली ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इस फिल्म पर अपनी आपत्तियां उचित फ़ोरम में रखे। याचिका में मौलिक अधिकारों के हनन और वैमनस्य फैलने की आशंका बताई गई थी।
आयुष्मान खुराना अभिनीत की “आर्टिकल 15” घरेलू बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई कर रही है। रिलीज से आठवें दिन यानि शुक्रवार को फिल्म ने करीब पांच करोड़ और अपनी कमाई में जोड़ लिये। फिल्म का बजट ज्यादा नहीं था और विषय भी अलग है, इस कारण कम कलेक्शन की उम्मीद थी लेकिन इस फिल्म ने सिनेमाघरों में शाहिद कपूर की कबीर सिंह के होते हुए भी अच्छा परफॉर्म किया है।
अनुभव सिन्हा निर्देशित “आर्टिकल 15” उत्तर प्रदेश में हुई दुष्कर्म की एक जघन्य घटना से प्रेरित है। फ़िल्म के ज़रिये समाज में जातिगत भेदभाव के मुद्दे को रेखांकित करती फ़िल्म में इस सिस्टम पर कड़ा प्रहार किया गया है। इस फिल्म में आयुष्मान खुराना आईपीएस अधिकारी की भूमिका में हैं और उनके काम की काफ़ी तारीफ़ हुई है। फ़िल्म में ईशा तलवार, शायोनी गुप्ता और कुमुद मिश्रा ने अहम भूमिकाएं निभायी हैं।
ये है विवाद
ब्राह्मण
समाज ऑफ इंडिया की ओर से नेमिनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर फिल्म का विरोध
करते हुए कहा है कि फिल्म के जाति आधारित संवाद समाज में नफरत फैला सकते हैं।
सच्ची आपराधिक घटना की पृष्ठभूमि बताते हुए फिल्म में झूठी, गलत और तोड़-मरोड़ कर कहानी पेश
की गई है जिसके जाति आधारित संवाद आपत्तिजनक, अफवाह फैलाने वाले और समाज में
नफरत पैदा करने वाले हैं। याचिका में फिल्म के शीर्षक “आर्टिकल 15” पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया है
कि इससे संविधान के “आर्टिकल 15” के प्रति लोगों में गलत अवधारणा बनेगी। भारत
सरकार की इजाजत के बगैर फिल्म का नाम “आर्टिकल 15” नहीं रखा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि
फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह फिल्म के प्रदर्शन के लिए जारी
प्रमाणपत्र निरस्त करे।