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तीनों नए कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, कमेटी बनाई

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को पिछले साल सितंबर में बनाए गए तीन कृषि कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। साथ ही कमेटी का भी गठन कर दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस परेड बाधित करने की आशंका पर, दिल्ली पुलिस ने जो याचिका डाली थी, उसको लेकर नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि हम सॉलिसीटर जनरल की अर्जी पर नोटिस जारी कर रहे हैं। इस पर सोमवार को सुनवाई होगी। सभी पक्षों को याचिका की कॉपी दी जाए। 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमको ऐसा भी सुनने को मिला है कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन में लगे हैं। उन्होंने एटॉर्नी जनरल से कहा कि क्या आप इसकी पुष्टि करते हैं? अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम कहना चाहते हैं कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ की है। इस पर सीजेआई बोले, “आप कल तक इस पर हलफनामा दीजिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम पूरे मामले पर आज आदेश नहीं देंगे। आदेश आज ही आएगा। आप इस पहलू पर कल तक जवाब दें।”

आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए जहां मीडिया भी उन्हें देख सके। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या अभी तक किसी ने रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया? मुख्य न्यायाधीश ने अपने बयान में कहा कि हम आदेश में कहेंगे कि रामलीला मैदान या अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसान दिल्ली पुलिस आयुक्त की अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं।

गौरतलब है कि बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलन में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाओं के होने पर नाराजगी जताई थी, जिस पर आज सुनवाई के दौरान भारतीय किसान यूनियन (भानू) के वकील ने कहा कि वे सभी आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे। इसपर सीजेआई ने कहा कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड कर रहे।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “समिति इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है। हम कानून का अमल स्थगित करेंगे लेकिन अनिश्चितकाल के लिए नहीं। हमारा मकसद सिर्फ सकारात्मक माहौल बनाना है।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम एक समिति बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान समिति में नहीं जाएंगे। हम समस्या को हल करने के लिए देख रहे हैं। यदि आप (किसान) अनिश्चितकाल के लिए आंदोलन करना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।“


gajendra tripathi

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