नई दिल्ली। (Swachh Survekshan 2020) केंद्र की ओर से स्वच्छ सर्वेक्षण के तहत लगातार चौथी बार मध्य प्रदेश के शहर इंदौर को देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। इस सूची में गुजरात का सूरत दूसरे और महाराष्ट्र की नवी मुंबई तीसरे स्थान पर है। गंगा किनारे बसे शहरों में उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी पहले स्थान पर है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को ट्विटर स्वच्छ सर्वेक्षण के नतीजे घोषित किए। मंत्रालय द्वारा आयोजित “स्वच्छ महोत्सव” नाम के कार्यक्रम में कुल 129 शहरों को पुरस्कार प्रदान किए जायेंगे।
पूरी ने अपने ट्वीट में लिखा, “बधाइयां! इंदौर लगातार चौथे साल देश का सबसे स्वच्छ शहर बन गया है। शहर और यहां के लोगों ने स्वच्छता के प्रति गजब समर्पण दिखाया है।” मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व और नगरपालिका के सहयोग के लिए उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व और नगरपालिका के सहयोग के चलते उनके इस परफॉर्मेंस के लिए बधाई।”
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने एक दूसरे ट्वीट में बताया कि “प्राचीन पवित्र शहर वाराणसी गंगा पर बसे शहरों में सबसे स्वच्छ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बधाइयां जो इस शहर का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके विज़नरी नेतृत्व ने यहां लोगों को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए प्रेरित किया है।”
इस सर्वे में जालंधर कैंट को देश के सबसे स्वच्छ कैंटोन्मेंट का दर्जा दिया गया है।
पहले खबर थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मौके पर वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन शहरी के तहत काम करने वाले देशभर के चुनिंदा लाभार्थियों , स्वच्छाग्रहियों और सफाईकर्मियों के साथ बातचीत भी करेंगे। मगर किसी कारण वह इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए।
दुनिया के इस सबसे बड़े स्वच्छता सर्वेक्षण में 4242 शहरों, 62 छावनी बोर्डों और 92 गंगा के समीप बसे कस्बों की रैंकिंग जारी की गई। इन क्षेत्रों में करीब 1 करोड़ 90 लाख आबादी रहती है। सर्वेक्षण के पहले संस्करण में भारत में सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मैसुरू ने हासिल किया था जबकि इसके बाद इंदौर लगातार तीन साल तक (2017,2018,2019) शीर्ष स्थान पर रहा।
करीब एक महीने चले इस सवेर्क्षण के दौरान एक करोड़ 70 लाख नागरिकों ने स्वच्छता ऐप पर पंजीकरण किया है। सोशल मीडिया पर 11 करोड़ से अधिक लोग इससे जुड़े। साढे पांच लाख से अधिक सफाई कर्मचारी सामाजिक कल्याण योजनाओं से जुड़े और ऐसे 21 हजार स्थानों की पहचान की गई जहां कचरा पाये जाने की ज्यादा संभावना है।
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