रूस में निर्मित 36 टन वजनी टी-55 टैंक भारतीय सेना के शौर्य का साक्षी रहा है। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसने दुश्मन के खेमे में तबाही मचा दी थी। इसमें चार क्रू मेंबर बैठते हैं। दुश्मन पर गोलीबारी करने के लिए मशीनगन के अलावा इसमें एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी है जो एक मिनट में 1000 गोलियां दागती है। यह टैंक 14 किमी दूर तक दुश्मन को तबाह करने की क्षमता रखता है। अत्याधुनिक टैंकों के आने के बाद भारतीय सेना ने इन टैंकों को विंटेज के रूप में राजस्थान के जालौर की पुलिस लाइन और भीनमाल शहर के महावीर चौराहे के साथ ही दादरा और नगर हवेली के दमन किले में रखवा दिया जहां शान से खड़े ये टैंक देसी-विदेशी पर्यटकों को सेना के पराक्रम से रूबरू कराते हैं।
ब्रिगेडियर (अवकाश प्राप्त) बीबी जानू के अनुसार, पाकिस्तान के साथ हुए 1971 के युद्ध में नैनाकोट, बसंतर एवं गरीबपुर की लड़ाई में टी-55 टैंक ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी थी।
चित्र परिचय — दादरा और नगर हवेली के दमन किले में टी-55 टैंक के साथ बरेली निवासी सुरेन्द्र बीनू सिन्हा और कल्पना सक्सेना।
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