कानून मंत्री ने कहा- भाजपा सरकार के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण वोट बैंक का विषय नहीं है। हम मानते हैं कि महिलाओं का सम्मान होना चाहिए।
नई दिल्ली। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारसंरक्षण) विधेयक’ को गुरुवारको लोकसभा की मंजूरी मिल गई। विधेयक में सजा के प्रावधान का कांग्रेस सहित कईविपक्षी दलों ने कड़ा विरोध करते हुए सदन से वाकआउट किया। वे इस विधेयक को संयुक्तप्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहे थे। हालांकि सरकार ने साफ किया कि यह विधेयककिसी को निशाना बनाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लायागया है।
सदन ने एन. के. प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्प एवं कुछसदस्यों के संशोधनों को नामंजूर करते हुए महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी। विधेयक पर मत विभाजन के दौरानइसके पक्ष में 245 वोट और विपक्ष में 11 मत पड़े। प्रेमचंद्रन के सांविधिक संकल्पमें 19 दिसंबर 2018 को प्रख्यापित मुस्लिम महिलाविवाह अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2018 का निरनुमोदन करने की बात कही गई थी।
कई दलों ने किया वाकआउट
कानून
मंत्री रविशंकर प्रसाद के विधेयक पर चर्चा के जवाब के बाद कांग्रेस, सपा, राजद, एनसीपी, टीएमसी, टीडीपी, अन्नाद्रमुक, टीआरएस, एआईयूडीएफ ने सदन से वाकआउट किया।
इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की जरूरतः प्रसाद
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसे राजनीति के तराजू पर तौलने की बजाय इंसाफ के तराजू पर तौलते की जरूरत है। उनकी सरकार के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण वोट बैंक का विषय नहीं है। हम मानते हैं कि महिलाओं का सम्मान होना चाहिए। प्रसाद ने विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजने की विपक्ष मांग को खारिज किया। उन्होंने कहा कि इसे प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग के पीछे एक ही कारण है कि इसे आपराधिक क्यों बनाया गया।
उन्होंने कहा कि संसद ने 12 वर्ष से कम उम्र की बालिका से दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा संबंधी कानून बनाया। क्या किसी ने पूछा कि उसके परिवार को कौन देखेगा। दहेज प्रथा के खिलाफ कानून में पति, सास आदि को गिरफ्तार करने का प्रावधान है। जो दहेज ले रहे हैं, उन्हें पांच साल की सजा और जो इसे प्रोत्साहित करते हैं, उनके लिए भी सजा है। इतने कानून बने, इन पर तो सवाल नहीं उठाया गया।
सवाल उठाने के पीछे वोट बैंक की राजनीतिः प्रसाद
विधि मंत्री ने कहा कि तीन तलाक के मामले में सवाल उठाया जा रहा है, जिसके पीछे वोट बैंक की राजनीति है। यह मसला वास्तव में वोट बैंक से जुड़ा है। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि शाहबानो मामले में जब संसद में बहस हुई तब डेढ़ दिन तक कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ थी लेकिन बाद में बदल गई।
विधेयक संविधान के कई अनुच्छेदों के खिलाफः खडगे
विधेयक परचर्चा के बाद सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह विधेयकसंविधान के कई अनुच्छेदों के खिलाफ है। इसे संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जानाचाहिए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदन से वाक आउट करनेकी घोषणा की।
विधि एवं न्याय मंत्री ने पेश किया विधेयक
इससे पहले विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए लोकसभा में रखा। प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक असंवैधानिक घोषित करने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है। जनवरी 2017 के बाद से तीन तलाक के 417 मामले सामने आए हैं। पत्नी ने काली रोटी बना दी, पत्नी मोटी हो… ऐसे मामलों में भी तीन तलाक दिये गए हैं। प्रसाद ने कहा कि 20 से अधिक इस्लामी मुल्कों में तीन तलाक नहीं है। हमने पिछले विधेयक में सुधार किया है और अब मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है।
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