नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बाटला हाउस मुठभेड़ के दोषी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई है। अदालत ने मामले को “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” मानते हुए यह फैसला सुनाया है। अदालत ने बीते 8 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि मुठभेड़ के समय आरिज खान मौके पर ही था और पुलिस की पकड़ से भाग निकला था। उसने भागने से पहले पुलिसवालों पर फायरिंग की थी। दिल्ली पुलिस टीम के मुख्य निरीक्षक मोहन चंद्र शर्मा पर भी आरिज ने गोलियां चलाई थीं जिससे उनकी जान चली गई। 19 सितंबर 2008 को हुई इस मुठभेड़ में दो आतंकवादी मारे गए थे और कई को गिरफ्तार किया गया। इन आतंकवादियों के तार आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़े पाए गए थे। गौरतलब है कि मोहन चंद्र शर्मा को शांति काल में दिए जाने वाले देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
दिल्ली पुलिस ने अदालत से आरिज खान को फांसी की सजा दिए जाने का मांग की थी। दिल्ली पुलिस का पक्ष रखते हुए सीनियर पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एटी अंसारी ने कहा था कि कानून का अनुपालन करवाने वाले अधिकारी जो न्याय का संरक्षक था, उनकी हत्या की गई है। वह अपनी ड्यूटी पर थे। इसलिए मामले में कड़ा कदम उठाने की दरकार है।
अदालत ने आरिज को दोषी मानते यह कहा था
अदालत ने कहा था कि आरिज खान को आईपीसी की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 के तहत दोषी पाया गया है। उसे आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी करार दिया गया है। एक दशक तक कथित तौर पर फरार रहने के बाद फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि यह साबित हो चुका है कि आरिज खान और उसके सहयोगियों ने जान-बूझकर पुलिसवालों को चोट पहुंचाई थी। अदालत ने यह भी कहा कि आरिज खान ने इंस्पेक्टर एमसी शर्मा पर गोली चलाई जिससे उनकी जान गई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त सबूत पेश किए जिनपर कोई संदेह नहीं किया जा सकता है।
यह था मामला
13 सितंबर 2008 को राजधानी के करोल बाग, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे जिनमें 26 लोग मारे गए थे जबकि 133 घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम धमाकों को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) ने अंजाम दिया है। इसमें लीड मिली गुजरात में हुए धमाके से। दरअसल, गुजरात में 26 जुलाई 2008 को बम विस्फोट हुआ था। गुजरात पुलिस ने जांच की और उससे जो लीड मिली उसने उसे इंटेलिजेंस एजेंसियों के अलावा सभी राज्यों की पुलिस को भी शेयर किया था। जानकारी दिल्ली पुलिस से भी शेयर की गई थी। उन लीड्स को डवलप किया गया और उसी के आधार पर बटला हाउस में सर्च ऑपरेशन अंजाम दिया गया था।