नई दिल्ली/लखनऊ। हाथरस कांड की आड़ में उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश को हिंसा की आग में झोंकने की साजिश इसके लिए न सिर्फ “जस्टिस फॉर हाथरस” नाम से वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें भड़काऊ कंटेंट डालकर लोगों में गलतफहमी भी फैलाई जा रही थी। पूरे देश को जातीय हिंसा (Caste Based Violence) में ढकेलने की इस साजिश को अमलीजामा पहनाने के लिए कई देशों से फंडिंग हुई थी जिनमें कुछ इस्लामिक देश भी शामिल हैं। साथ ही ये निर्देश भी आए थे कि किस समय, किसे और कहां निशाना बनाया जाना है। बहरहाल खुफिया एजेंसियों और उत्तर प्रदेश सरकार की सतर्कता की वजह से साजिश नाकाम हो गई। यूपी में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने तथा अफवाहों और फर्जी सूचनाओं के जरिए अशांति पैदा करने का साजिश रचने को लेकर लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि हाथरस मामले की आड़ लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty international) नामक अमेरिका बेस्ड एनजीओ भारत सरकार से बदला लेने की फिराक में था। एमनेस्टी ने हाल ही में भारत से अपना कामकाज समेटा है क्योंकि सरकार ने विदेशी चंदों को लेकर अनियमितता मिलने के बाद उसके बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे। एमनेस्टी पर मानवाधिकारी की आड़ में भारत विरोधी गतिविधिय़ों के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। कश्मीर में आतंकवादियों के सफाये में जुटी भारतीय सेना को भी एमनेस्टी बदनाम करने की कोशिश करती रही है।
हाथरस में युवती की मौत मामले में सोशल मीडिया पर एक न्यूज चैनल का फर्जी स्क्रीन शॉट तैयार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी सरकार को बदनाम करने की साजिश का सनसनीखेज मामला भी शनिवार को सामने आया था। स्क्रीन शॉट में ब्रेकिंग न्यूज लिखकर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की फोटो के साथ बाकायदा उनका फर्जी बयान जारी किया गया। ये स्क्रीन शॉट वाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया के अकाउंट पर तेजी से वायरल किया गया।
बहरहाल, साजिश कितनी गहरी थी इसका अंदाजा इसके तानबाने से लगाया जा सकता था। हाथरस के नाम पर पूरे देश को जातीय हिंसा में धकेलने की कोशिश के तहत न सिर्फ वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें यह भी जानकारी दी गई कि हमले किस तरह से करने, कब करने हैं और किन-किन पर करने हैं। इस वेबसाइट में यह सलाह भी दी गई कि हमले मास्क लगाकर ही करने हैं और प्रदर्शन के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाना है।
चंडीगढ़ की मृतका को हाथरस की बेटी बता पोस्ट की वायरल
हबाथरस प्रकरण की आड़ में अफवाहें फैलाने और नफरत पैदा करने के लिए चंडीगढ़ की घटना की मृतका की तस्वीरें हाथरस की बेटी की बताकर वायरल की गईं। दंगे भड़काने की साजिश के तहत तमाम आपत्तिजनक और फोटोशॉप्ड तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया। दूसरे प्रदेशों के शवों की फोटोशॉप्ड तस्वीरों को हाथरस की पीडि़ता की तस्वीरें बताकर वायरल कर नफरत पैदा करने की कोशिश की गई। इस मामले में चंडीगढ़ की दिवंगत युवती के पिता ने चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
उत्तर प्रदेश के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि पीएफआइ समेत कुछ अन्य संगठन प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रचते हैं। इस मामले में उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है। गौरतलब है कि सीएए और नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हुए दंगों में भी पीएफआई का नाम सामने आया था।
इस तरह रची गई साजिश
हाथरस से नाम पर हिंसा फैलाने की साजिश के तहत फर्जी तस्वीरें वायरल की गई, यहां तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी बयान भी वायरल किया गया। पीड़ित लड़की से जुड़ी भड़काऊ बातों के नाम पर अफवाह फैलाई गई, तो पीड़ित परिवार को रुपयों का भी लालच दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, इस साजिश में कुछ राजनेताओं और लुटियंस जोन के कुछ पत्रकारों के शामिल होने की बात भी सामने आयी है। जांच एजेंसियों को कुछ ऐसे ऑडियो टेप मिले हैं जिनमें कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं और पत्रकारों की आवाज़ है।
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