नई दिल्ली। जाड़ों के मौसम में करीब दो महीने कड़ाके की सर्दी का सितम सहने के बाद अब तकरीबन तीन महीने भीषण गर्मी का जुल्म बर्दाश्त करने को तैयार हो जाइए। भारत मौसम विभाग ने तीन महीनों- मार्च, अप्रैल और मई के लिए गर्मी का जो अनुमान जारी किया है, उसके मुताबिक दक्षिण और मध्य भारत को छोड़कर उत्तर भारत समेत देश के ज्यादातर इलाकों में तापमानर सामान्य से एक डिग्री तक ज्यादा रह सकता है। गौरतलब है कि गर्मी को लेकर मौसम विभाग का अनुमान पिछले 5 साल में 90 प्रतिशत सटीक साबित हुआ है।

तापमन सामान्य से ज्यादा रहने के संकेत मार्च के पहले दिन ही दिख गए। हालांकि आधी रात के बाद तापमान गिरा और आज 2 मार्च को सवेरे सर्द हवा चलने से सर्दी महसूस हुई पर दिन चढ़ने के साथ ही सूरज का ताप सताने लगा। मौसम विभाग के अनुसार उत्तर और मध्य भारत में 1 मार्च, 2021 को पारा सामान्य से 3 से 6 डिग्री ज्यादा रहा।

भारत मौसम विभाग के अनुसार उत्तर, पश्चिमोत्तर और पूर्वोत्तर भारत के ज्यादातर हिस्सों, मध्य भारत के पूर्वी-पश्चिमी भागों के कुछ हिस्सों और उत्तरी प्रायद्वीप के तटीय इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा। ज्यादातर समय लू चल सकती है। हालांकि दक्षिण और इसके करीबी मध्य भारत के हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है।

पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में पारा सामान्य से ज्यादा रहने के आसार हैं। कोंकण और गोवा में भी न्यूनतम और इधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहने का अनुमान है।

तेजी से बढ़ सकता है सूखे का संकट

दुनियाभर में हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाले वर्षों में भारत में सूखा पड़ने की आशंका बढ़ेगी। इसका कृषि उत्पादन पर असर पड़ेगा। सिंचाई की मांग बढ़ेगी और भूजल का दोहन बढ़ेगा। एनपीजे क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर की एक अनुसंधान रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने मानसून के दौरान पड़ने वाले सूखे में जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन किया है। इसके मुताबिक, परंपरागत सूखे की तुलना में अचानक सूखा पड़ने से दो-तीन सप्ताह में बड़ा इलाका प्रभावित हो सकता है जिससे फसल पर बुरा असर पड़ेगा।

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