नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 वर्ष करने के विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी। यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। यूनिसेफ के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है.
लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में नीति आयोग को सुपुर्द की थी। इस टास्क फोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था जिसमें इसे समान रूप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मजबूत सिफारिश की गई।
10 सदस्यों की टास्क फोर्स ने देशभर के जाने-माने स्कॉलर्स, कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया. वेबिनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को बनाया गया।
शादी-विवाह के संबंध दूसरा बड़ा सुधार
मोदी सरकार के कार्यकाल में शादी-विवाह के संबंध में यह दूसरा बड़ा सुधार है जो समान रूप से सभी धर्मों के लिए लागू होगा। इससे पहले कैबिनेट ने एनआरआई मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा कदम उठाया था।
इससे पहले 1978 में हुआ विवाह कानून में संशोधन
टास्क फोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर चार कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी बदलाव 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी। भारत के जनगणना महापंजीयक के मुताबिक देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।