नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के धरना-प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था खत्म नहीं होगी, बल्कि उनकी सरकार तो पिछली सरकारों से ज्यादा एमएसपी दे रही है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ लोग किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। वे कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं। किसानों को जमीन जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 6 महीने से ज्यादा का समय हो गया है, जब ये कानून लागू किए गए थे। कानून बनने के बाद भी वैसे ही एमएसपी की घोषणा की गई, जैसे पहले की जाती थी। कोरोना महामारी से लड़ाई के दौरान भी ये काम पहले की तरह किया गया। एमएसपी पर खरीद भी उन्हीं मंडियों में हुई, जिनमें पहले होती थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? सच्चाई तो ये है कि हमारी सरकार एपीएमसी (APMC) को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है फिर ये एपीएमसी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में पिछड़ता जाए, ये ठीक नहीं है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हो रहे हैं। पिछले छह साल में सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है। ये कानून रातों-रात नहीं आए। 20-22 साल से देश की और राज्यों की सरकारों, किसान संगठनों ने इस पर विमर्श किया। कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं।”
मोदी ने कहा, “आज किसानों के खाते में बिना किसी बिचौलिए के 1600 करोड़ रुपये जमा कराए गए। टेक्नोलॉजी के कारण ये संभव हुआ है। भारत ने ये जो आधुनिक व्यवस्था बनाई है, दुनियाभर में उसकी चर्चा हो रही है। आज यहां कई किसानों को क्रेडिट कार्ड सौंपे गए हैं। पहले यह हर किसी को नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किया। अब किसानों को खेती के लिए जरूरी पूंजी मिल रही है। किसानों को अब कर्ज लेने से मुक्ति मिली है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियों का सही भंडारण न हो तो बहुत नुकसान होता है। ये सिर्फ किसान का नहीं, ये पूरे हिंदुस्तान का नुकसान है। हर साल करीब एक लाख करोड़ रुपये के फल-सब्जियां इस वजह से बर्बाद हो जाते हैं। पहले इसे लेकर बहुत उदासीनता थी। हमारी प्राथमिकता देश में कोल्ड स्टोरेज का स्ट्रक्चर बनाना है। मैं उद्योग जगत से कहूंगा कि भंडारण, फूड प्रोसेसिंग की व्यवस्था करने के लिए आगे आएं। हो सकता है कि आपकी कमाई कुछ कम हो, लेकिन किसानों का भला होगा।”
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