पानीपत। यह क्रूरता की इंतेहा है। जीवनभर साथ निभाने का वादा कर कभी जिसका हाथ थामा था, उसे ही डेढ़ साल से टॉइलेट में बंद कर रखा था। यहां भी पति उसे जब-तब पीटता रहता, कभी-कभार खाने को थोड़ा-बहुत दे देता। एक पड़ोसी को इसकी भनक लगी तो जानकारी पुलिस तक पहुंच गई। जब महिला को टॉइलेट से बाहर निकाला गया तो वह किसी कंकाल की तरह नजर आ रही थी। “आजाद” होते ही उसने सबसे पहले खाना मांगा और वहीं जमीन पर निढाल हो गई। उसकी हालत देखकर वहां मौजूद हर एक शख्स की आंखें नम हो गईं। मामला जिले के सनौली इलाके के रिशपुर गांव का है।

महिला को रेस्क्यू कराने के लिए जब पुलिस और महिला सुरक्षा की टीम बुधवार को मौके पर पहुंची तो उसका पति घर के बाहर कुछ लोगों के साथ ताश खेल रहा था। टीम ने उससे पत्नी रामरती के बारे में पूछा तो साफ जवाब देने के बजाय गोल-मोल करने लगा। सख्ती करने पर वह टीम को घर की पहली मंजिल पर ले गया और टॉइलेट की तरफ इशारा किया। टीम ने दरवाजा खोला तो उसके अंदर सूख कर कांटा जैसी हो गई एक महिला निढाल पड़ी थी। गंदगी से लिपटे उसके शरीर पर मैले-कुचैले कपड़े थे। शरीर कंकाल जैसा हो चुका था। बालों में गुच्छे पड़ गए थे और शरीर से बदबू के भभके उठ रहे थे। पहली नजर में ही लगा रहा था कि वह काफी लंबे समय से इस “नरक” में बंद है।

बेहद कमजोर हो चुकी महिला चलना-फिरना तो दूर रहा, उठ भी नहीं पा रही थी। पुलिस टीम ने उठाकर बाहर निकाला तो उसने सबसे पहले रोटी मांगी। बचाव टीम ने उसे नहलाया। साफ कपड़े पहनाए गए तो उसने चूड़ियां, बिंदी और लिप्स्टिक भी लागने को मांगी।

रामरती को खाना देने के बाद टीम ने नरेश से फिर पूछताछ की तो नरेश ने बताया कि 10 साल पहले रामरति के पिता और भाई की मौत हो गई थी। उसके बाद से वह मानसिक रूप से बीमार हो गई थी। वह किसी को नुकसान न पहुंचाए और कहीं चली न जाए इसलिए उसने उसको टॉइलेट में बंद करके रखा था। हालांकि पति से जब रामरति के इलाज के कागज मांगे गए तो वह नहीं दिखा सका।

पुलिस ने नरेश के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। रामरति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

महिला सुरक्षा और बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि  उन्हें इस बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद अविलंब कार्रवाई करते हुए बुधवार को महिला को बचाया गया।

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