नई दिल्ली। वर्ष 1952 में शुरू की गई कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना श्रमिकों के सामाजिक कल्याण की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई है। कर्मचारियों और नियोक्ताओं के अंशदान से चलने वाली इस स्कीम में समय-समय पर संशोधन/बदलाव होते रहते हैं। कोरोना काल में भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने कई नियमों में बड़ा बदलाव किया है। कई ऐसी व्‍यवस्‍थाओँ की हैं जिनका लाभ डिजिटल तरीके से उठाया जा सकेगा।

बीमा राशि 7 लाख रुपये तक बढ़ाई

ईपीएफओ के तहत आने वाले कर्मचारियों की बीमा राशि 7 लाख रुपये तक कर दी गई है। दरअसल, इम्पलॉई डिपॉज़िट लिंक्ड इंश्योरेंस योजना (EDLI) एक बीमा योजना है जिसकी सुविधा ईपीएफ योजना से आच्छादित कर्मचारी को दी जाती है। अगर ईपीएफओ योजना में आने वाले कर्मचारी की कार्यकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके नॉमिनी को 6 लाख रुपये तक का एकमुश्त भुगतान किया जाता है। 

व्हाट्सऐप हेल्पलाइन सेवा

ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों की शिकायतों के त्वरित समाधान को लेकर व्हाट्सऐप हेल्पलाइन सेवा शुरू की है जिससे सभी 138 क्षेत्रीय कार्यालयों को जोड़ा जा चुका है। इसके माध्यम से ईपीएफ अंशधारक व्यक्तिगत स्तर पर ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ सीधे बातचीत कर सकते हैं। सभी क्षेत्रीय कार्यालयों के व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर ईपीएफओ की आधिकारिक वेबसाइट पर दिया गया है।

पेंशन योजना के प्रमाण पत्र के लिए कर सकेंगे आवेदन

ईपीएफओ ने ईपीएस सदस्यों को कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के अंतर्गत योजना के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने में सक्षम बना दिया है। योजना का प्रमाण पत्र ऐसे सदस्यों को जारी किया जाता है, जो अपना ईपीएफ अंशदान निकाल लेते हैं लेकिन सेवानिवृत्ति की उम्र पर पेंशन लाभ लेने के लिए ईपीएफओ के साथ अपनी सदस्यता बरकरार रखना चाहते हैं।

ध्यान रखने वाली बात यह है कि कोई भी अंशधारक सिर्फ तभी पेंशन का पात्र होता है, जब वह कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 का कम से कम 10 साल तक सदस्य रहता है। नई नौकरी से जुड़ने के बाद योजना प्रमाण पत्र सुनिश्चित करता है कि पिछली पेंशन योग्य सेवा को नए नियोक्ता के साथ प्रदान की गई पेंशन योग्य सेवा के साथ जोड़ दिया जाए, जिससे पेंशन लाभ बढ़ जाता है। 

ईपीएफओ भी करेगा अर्ध-न्यायिक मामलों की सुनवाई

विधिक न्यायालयों की तरह अब कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) भी वर्चुअल माध्यम से ईपीएफ के तहत आने वाले अर्ध-न्यायिक मामलों की सुनवाई करेगा। इससे प्रतिष्ठानों और अंशधारकों/सदस्यों को समय से किफायती समाधान मिलने की उम्मीद है। 

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