नई दिल्ली। देश की वर्तमान स्थिति पर विचार करने के हुई यहां हुई प्रमुख मुस्लिम संस्थाओं/संगठनों और नेताओं की बैठक में कश्मीर के नौजवानों से अपील की गई कि वे विरोधी शक्तियों, शत्रुओं और गैर जिम्मेदार (भ्रमित करने वाले) मीडिया के बहकावे में आकर सोशल मीडिया पर आधारहीन समाचारों और अफवाहों को प्रकाशित करने में भाग न लें क्योंकि ऐसा व्यवहार न सिर्फ उनके लिए बल्कि उनके परिवार और उनकी पूरी कम्युनिटी (समाज) के लिए हानिकारक है।
जमीयत उलेमा ए हिंद के मुख्य कार्यालय में हुई इस बैठक में कश्मीर के संबंध में चर्चा और विचार-विमर्श हुआ, कई प्रस्ताव भी पास किए गए।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए पर देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने कहा, “संवैधानिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करके न तो सुख-शांति स्थापित की जा सकती है और न ही जबरदस्ती वफादारी खरीदी जा सकती है।”
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है, “हमें कश्मीरी जनता के मूलभूत अधिकारों का समर्थन करना चाहिए और
वहां शांति व्यवस्था की स्थापना और सामान्य जनजीवन की बहाली पर सरकार का ध्यान
आकर्षित करना चाहिए।” बयान में
केंद्र सरकार से कश्मीर में कर्फ्यू की समाप्ति, संचार
व्यवस्था पर प्रतिबंध को हटाने, स्वास्थ्य
सेवाओं को बहाल करने और शैक्षिक संस्थानों को तुरंत खुलने की मांग की गई है।
संयुक्त बयान में कहा गया है, “धारा 370 को जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक तरीके से
लागू किया गया था और उसे संवैधानिक तरीके से ही हटाया जा सकता है। फिलहाल जो तरीका
अपनाया गया उस पर अहम सवाल उठाए गए हैं और विरोध भी प्रकट किया गया है। मामला इस
समय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
है। हमें शीर्ष अदालत पर विश्वास करना चाहिए और उसके निर्णय के अनुसार कदम उठाने
चाहिए।”
बयान में कहा गया है, “देश की एकता
और अखंडता प्रत्येक नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। किसी भी सूरत में इससे समझौता
नहीं किया जा सकता। संविधान में समानता, सबके साथ
न्याय और मानव अधिकारों का उद्देश्य भी देश की एकता अखंडता की सुरक्षा है।
संवैधानिक उद्देश्यों को नजरअंदाज करके हम देश में न तो सुख-शांति स्थापित कर सकते हैं और न ही जबरदस्ती वफादारी खरीद सकते
हैं।”
बैठक में मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी, अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद, सआदतुल्लाह हुसैनी, अमीर जमात इस्लामी हिंद, मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फी अमीर जमीअत अहले हदीस हिंद, मौलाना महमूद असअद मदनी, महासचिव जमीयत उलेमा ए हिंद, डॉक्टर ज़फर महमूद चेयरमैन ऑल इंडिया ज़कात फाउंडेशन, डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खां चेयरमैन अल्पसंख्यक आयोग दिल्ली, मौलाना तनवीर हाशमी अध्यक्ष जमाते अहले सुन्नत कर्नाटक, मुज्तबा फारुख महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत, कमाल फारुकी सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एम जे खां चेयरमैन इंडिया काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर, एडवोकेट शकील अहमद सैयद, मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी एडवोकेट, मौलाना शब्बीर नदवी मोहतमिम मदरसा इस्लाहुल बनात बेंगलुरु, मौलाना मुईजुददीन अहमद, मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी और मौलाना हकीमुद्दीन शामिल हुए।