नई दिल्ली। (Muharram procession 2020) सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम के ताजिया निकालने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। गुरुवार को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मांग को नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य और उनकी जिंदगी जोखिम में पड़ सकती है। अदालत ने कहा, “मुहर्रम के मौके पर ताजिया का जुलूस निकालने की अनुमति यदि दी जाती है और संक्रमण फैलता है तो इसके लिए समुदाय विशेष को जिम्मेवार माना जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिया नेता सैयद कल्बे जवाद (Shia leader Syed Kalbe Jawad) से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी याचिका ले जाने को कहा।
मुख्य न्यायधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना एवं न्यायमूर्ति रामासुब्रह्मण्यम इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण देश में जो हालात हैं उसके मद्देनजर इस बार ताजिया को निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इससे लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई कर रही जजों की पीठ ने कहा, “आप ताजिया की जुलूस निकालने की मांग कर रहे हैं और यदि हम इसकी अनुमति दे देते हैं तो माहौल अस्त-व्यस्त हो जाएगा। कोविड-19 संक्रमण को फैलाने के लिए विशेष समुदाय को निशाना बनाया जाएगा। हम वह नहीं चाहते हैं। कोर्ट के तौर पर हम लोगों की जिंदगी को जोखिम में नहीं डाल सकते।”
मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय हुसैन की शहादत को याद करता है और मातम के तौर पर ताजिये के साथ जूलूस निकालने का रिवाज है।
इस बीच हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ के प्रमुख कासिफ निजामी ने कहा है कि दिल्ली में ताजियों के जुलूस निकालने का सिलसिला मुगलकाल से ही चला आ रहा है। इस बार 700 साल में पहली बार मुहर्रम के मौके पर यह जुलूस नहीं निकाला जाएगा।