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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथियों के दुश्मन बने बाघ, भोजन के लिए कर रहे शिकार

नई दिल्ली। भारत में न सिर्फ शेर और बाघ बल्कि हाथियों पर भी शिकार का खतरा मंडरा रहा हैं। इंसान शेर और बाघ का दुश्मन साबित हो रहा है तो जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से आयी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार बाघ अब धरती के सबसे बड़े प्राणी हाथी के दुश्मन बनते जा रहे हैं। खासकर हाथी के बच्चे बाघ के लिए आसान शिकार साबित हो रहे हैं।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के अधिकारियों द्वारा हाल ही में किया गया एक अध्ययन बताता है कि खतरा सचमुच बड़ा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन से इस विषय पर एक रिपोर्ट मांगी है। गौरतलब है कि समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की 16 जून 2019 की खबर के मुताबिक बाघ जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथियों को मार डाल रहे हैं और उन्हें खा रहे हैं।

अध्ययन के अनुसार,  2014 से 31 मई 2019 तक प्रजनन को लेकर आपस में हुई लड़ाई के चलते कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह तेंदुएं मारे गए। वन्य जीवों की तीन प्रजातियों के कुल 36 मामलों में से 21 मामले केवल हाथियों के थे। हालांकि, एक काफी आश्यर्चजनक पहलू यह है कि इनमें से करीब 60 प्रतिशत जंगली हाथियों की मौत बाघों के हमले की वजह से हुई जिनमें खासतौर पर हाथियों के बच्चों को निशाना बनाया गया।  कार्बेट पार्क के निदेशक संजीव चतुर्वेदी भी मानते हैं कि बाघों द्वारा हाथियों को खाने की घटना अनूठी है। चतुवेंदी के अनुसार, इसका एक कारण यह हो सकता है कि सांभर और चीतल जैसे जानवरों के शिकार की तुलना में हाथी के शिकार में बाघों को कम ऊर्जा और प्रयास करने की जरूरत पड़ती है। साथ ही  हाथी को मारने पर उन्हें काफी मात्रा में भोजन मिल जाता है।

चतुर्वेदी ने बताया कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की पारिस्थितिकी भी अनूठी है क्योंकि यहां 225 बाघ और करीब 1,100 जंगली हाथी हैं जबकि रणथम्भौर, कान्हा और बांधवगढ़ जैसे दूसरे राष्ट्रीय उद्यानों में मुख्य रूप से बाघ ही हैं। वैसे, वन्य जीव विशेषज्ञ मानते हैं कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथियों के काफी अधिक होने की एक वजह उनके आवागमन के रास्तों या गलियारों (Elephant Corridor) पर इंसानों द्वारा किए गए कब्जे हैं। दरअसल, हाथी बहुत अधिक भोजन करने और लगातार विचरण-प्रवास करने वाला प्राणी है। उत्तराखंड में यह अतीत में टनकपुर-बनवसा से हरिद्वार इन्हीं कॉरिडोर के माध्यम से प्रवास करते रहते थे। अब ज्यादातर गलियारों पर अवैध कब्जे हो जाने की वजह से हाथी जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में “बंधक” होकर रह गए हैं।

gajendra tripathi

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