जम्मू कश्मीर। उग्रवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण कश्मीर में सेना के कमांडर का मानना है कि कश्मीर में सशस्त्र उग्रवाद की कमर टूट चुकी है और अब बहुत ज्यादा ‘‘राजनीतिक दूरंदेशी’’ की जरूरत है ताकि दशकों पुरानी पृथकतावादी समस्या का स्थायी हल सुनिश्चित किया जा सके।
दक्षिण कश्मीर के पांच जिलों में उग्रवाद के खिलाफ अभियान चलाने वाली विक्टर फोर्स के प्रमुख मेजर जनरल बी एस राजू ने कहा, ‘‘अब ऐसा कोई इलाका नहीं है, जहां उग्रवादियों या पृथकतावादियों का प्रभाव हो। उग्रवादी अब अपने बचाव में लगे हैं।’’ उन्होंने कहा कि उनका पूरा ध्यान अब इस बात पर है कि उग्रवादी संगठनों में अब और नई भर्तियां न हों और लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया जाए कि सेना वहां उनकी मदद के लिए है। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए उनके सैनिकों ने स्कूलों और कालेजों में विभिन्न कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं।
श्रीनगर से 33 किलोमीटर के फासले पर अवंतीपुरा स्थित विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ राजू ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर लोग समाधान चाहते हैं। वह हिंसा के इस दुष्चक्र से निकलना चाहते हैं।’’ दक्षिण कश्मीर को जम्मू कश्मीर में उग्रवाद का केन्द्र माना जाता है और पिछले वर्ष यहां सुरक्षा बलों पर हमले की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई थीं। इस वर्ष तस्वीर बदली है और अकेले इस इलाके में ही अब तक 73 उग्रवादियों को ढेर कर दिया गया है। यह पिछले वर्षों के औसत आंकड़े से लगभग दुगुना है। यह माना जा रहा है कि तकरीबन 120 सशस्त्र उग्रवादी बचे हैं।