देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत होंगे उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री। भाजपा विधायक दल ने रावत को विधायक दल का नेता चुना है। रावत को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला भाजपा विधायक दल की बैठक में लिया गया। शनिवार को उत्तराखंड के सीएम पद की शपथ लेंगे रावत। रावत तीसरी बार उत्तराखंड से विधायक चुने गए हैं।
रावत के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भी शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होने की उम्मीद है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर
20 दिसंबर 1960 को पौड़ी गढ़वाल के खैरासैँण(जहरीखाल) में फौजी परिवार में जन्में त्रिवेंद्र रावत ने पत्रकारिता से पीजी की पढ़ाई की है। वह 19 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। दो साल बतौर स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में नियमित रूप से गए और वर्ष 1981 में संघ की नीतियों से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने बतौर प्रचारक काम करने का संकल्प लिया।
रावत साल 1983 से 2002 तक आरएसएस के प्रचारक रहे हैं और वर्ष 1993 में संघ की ओर से उन्हें भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री का दायित्व दिया गया।राज्य आंदोलन में भी त्रिवेंद्र की अहम भूमिका रही। वह कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए। इसके बाद 1985 में उन्हें देहरादून महानगर का प्रचारक नियुक्त किया गया।
आला कमान ने उन्हें 1997 व 2002 में बीजेपी में संगठन महामंत्री बनाया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद पहली बार 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से जीत दर्ज की। उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा और 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में डोईवाला से एक बार फिर विजयश्री प्राप्त की। 2007 से 2012 तक बीजेपी सरकार में कृषि मंत्री रहे।
दो बार हारे विधानसभा चुनाव
2012 विधानसभा चुनाव में वह रायपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और हार गए। 2014 में डोईवाला सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।इसके बाद उन्हें इसी साल झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया गया। इस बार के चुनावों में रावत ने डोइवाला विधानसभा सीट से कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट को 24,869 वोटों से हराया है।