नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) की श्रेणी में शामिल करने का फैसला पचड़े में फंस गया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में स्पष्ट किया कि किसी जाति को एससी कैटगरी में शामिल करने का अधिकार संसद का है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला किया है तो यह असंवैधानिक है।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा, गौड़ आदि को अनुसूचित जातिमें शामिल करने का फैसला लिया था। सभी जिला अधिकारियों निर्देश दिया गया है कि इन परिवारों को जाति सर्टिफिकेट जारी किए जाएं।
इस मामले को बसपा ने मंगलवार को राज्यसभा में उठाया। बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने योगी सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया। इस पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने चाहे जल्दबाजी में यह फैसला लागू कर दिया हो लेकिन बाद में यह कानूनी पचड़े में फंस जाएगा। इसलिए उसे इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। केंद्र ने योगी आदित्यनाथ की सरकार से यह आदेश वापस लेने को कहा है।
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ सरकार का यह फैसला उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। हालांकि पूर्ववर्ती सरकारों ने भी इस तरह के कदम उठाने की कोशश की थी, लेकिन वे इसे अंजाम नहीं पहुंचा पाई थीं।. अब योगी सरकार ने इसे अमलीजामा पहनाने की ओर कदम बढ़ा दिया था लेकिन मंगलवार को केंद्र सरकार ने उसे तगड़ा झटका दिया है।