नई दिल्ली। (New Education Policy 2020) केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Union Ministry of Human Resource Development) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसका फैसला लिया गया। 1985 से पहले भी इस मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय के नाम से ही जाना जाता था। बैठक में 34 साल बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी भी दी गई।
कैबिनेट में जिस नई शिक्षा नीति-2020को मंजूरी दी है वह 1986 लागू की गई शिक्षा नीति का स्थान लेगी। इसके तहत देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलावों को लागू किया जाएगा।
क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा। देश में 45,000 कॉलेज हैं। ग्रेडेड स्वायत्तता के तहत कॉलेजों को शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता दी जाएगी। नए सुधारों में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है। अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहते सभी के लिए नियम समान होगा।
भारत सरकार के अनुसार, नई शिक्षा नीति में सभी तरह की उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक गठन किया जाएगा, यानी एक ही रेग्यूलेटर रहेगा। अभी यूजीसी, एआईसीटीई शामिल हैं। हालांकि इसमें लीगल एवं मेडिकल एजुकेशन को शामिल नहीं किया जाएगा। सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को लिए शिक्षा मानक समान रहेंगे। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना होगी जिससे रिसर्च और इन्नोवेशन को बढ़वा मिलेगा। शिक्षा (टीचिंग, लर्निंग और एसेसमेंट) में तकनीकी को बढ़वा दिया जाएगा। तकनीकी के माध्यम से दिव्यांगजनों में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। ई-कोर्सेस आठ प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किया जाएंगे। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम (एनईटीएफ) की स्थापना की जाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। उच्च शिक्षा में अब मल्टीपल इंट्री और एग्जिट का विकल्प दिया जाएगा। पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स करने वालों को एमफिल नहीं करना होगा। अब कॉलेजों के एक्रेडिटेशन के आधार पर ऑटोनॉमी दी जाएगी। मेंटरिंग के लिए राष्ट्रीय मिशन चलाया जाएगा।
इससे पहले, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट 2019 में ही तैयार कर लिया गया था, जिसकी मंजूरी आज ( 29 जुलाई 2020) को दी गयी है। इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में बनाई गई थी और 1992 में संशोधित की गई थी। पिछली नीति तैयार होने में तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है। बदलावों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति की आवश्यकता है। सरकार शिक्षा प्रणाली की अधिकता की योजना बना रही है और आज कैबिनेट बैठक में ड्राफ्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा की जाएगी। एनईपी का मसौदा सरकार ने 2019 में पेश किया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में शिक्षा नीति की घोषणा की।
अर्ली चाइल्डहुड केयर एवं एजुकेशन के लिए कैरिकुलम एनसीईआरटी द्वारा तैयार होगा। इसमें 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए विकसित किया जाएगा। बुनियाद शिक्षा (6 से 9 वर्ष के लिए) के लिए फाउंडेशनल लिट्रेसी एवं न्यूमेरेसी पर नेशनल मिशन शुरु किया जाएगा। पढ़ाई की रुपरेखा 5+3+3+4 के आधार पर तैयारी की जाएगी। इसमें अंतिम 4 वर्ष 9वीं से 12वीं शामिल हैं। नये कौशल (जैसे कोडिंग) का शुरु किया जाएगा। एक्सट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज को मेन कैरिकुलम में शामिल किया जाएगा। गिफ्टेड चिल्ड्रेन एवं गर्ल चाइल्ड के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। कक्षा 6 के बाद से ही वोकेशनल को जोड़ जाएगा। नई नेशनल क्यूरिकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा जिसमें ईसीई, स्कूल, टीचर्स और एडल्ट एजुकेशन को जोड़ा जाएगा। बोर्ड एग्जाम को भाग में बाटा जाएगा। बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में लाइफ स्किल्स को जोड़ा जाएगा। वर्ष 2030 को हर बच्चे के लिए शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। विद्यालयी शिक्षा के निकलने के बाद हर बच्चे के पास कम से कम लाइफ स्किल होगी।
-शिक्षा का अधिकार (Right to Eductaion) कानून के दायरे को व्यापक बनाया गया है। अब 3 साल के बच्चों से लेकर 18 वर्ष के युवाओं को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।
-कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम (co-curricular) या अतिरिक्त पाठ्यक्रम (extra- curricular) नहीं कहा जाएगा।
-नई शिक्षा नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल (life skills) और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है।
-उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विश्वस्तरीय अनुसंधान और उच्च गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर बल दिया गया है। उच्च शिक्षा में विश्वस्तरीय अनुसंधान (world class research) पर फोकस।
-अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम के ढांचा में किया जाएगा बदलाव। अब कोर्स के दौरान कक्षा से निकलने या प्रवेश करने के कई विकल्प दिए जाएंगे।
-पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान पद्धतियों को शामिल करने, राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन करने और प्राइवेट स्कूलों को मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से रोकने की सिफारिश।
-शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षक प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश।
-राष्ट्रीय शिक्षा नीति 20219 को भारतीय लोगों, उनकी परम्पराओं, संस्कृतियों और भाषाओँ की विविधता को ध्यान में रखते हुए तेज़ी से बदलते समाज की ज़रूरतों के आधार पर तैयार किया गया है।
-शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए उच्च गुणवत्ता और व्यापक शिक्षा तक सबकी पहुंच सुनिश्चित की गई है। इसके ज़रिए भारत का निरंतर विकास सुनिश्चित होगा। साथ ही यह वैश्विक मंचों पर आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, समानता और पर्यावरण की देखरेख, वैज्ञानिक उन्नति और सांस्कृतिक संरक्षण के नेतृत्व का समर्थन करेगी।
-स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ ही कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को भी इसके दायरे में लाया गया है।
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